भूदान यज्ञ में अपना गांव कर दिया था दान, इस सिपाही ने हमीरपुर में अंग्रेज कलेक्टर के सामने की थी बगावत
हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ महात्मा गांधी के एक सिपाही ने बड़ी बगावत की थी। अंग्रेज कलेक्टर के सामने ही युद्ध फंड में चंदा दान देने से मना करते हुए नारेबाजी की तो गांधी के सिपाही पर मामला भी दर्ज कराया गया था। इस सिपाही ने भूदान यज्ञ में अपना गांव ही दान कर दिया था, इसीलिए उन्हें बुन्देलखंड केसरी की उपाधि से नवाजा गया था। आजादी की 75वीं सालगिरह पर उनके पैतृक गांव में अमृत महोत्सव कराये जाने की यहां बड़ी तैयारी है।
हमीरपुर जिले के मंगरौठ गांव के दीवान शत्रुघ्न सिंह का स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन में बड़ा योगदान रहा है। इनका जन्म 25 दिसम्बर 1900 में हुआ था। देश में अंग्रेजों के खिलाफ भड़की चिंगारी को लेकर यहां हमीरपुर में दीवान साहब ने बड़ा आन्दोलन छेड़ा था। शिक्षा के दौरान ही शिक्षक पंडित लक्ष्मीनारायण अग्निहोत्री की विचाराधारा से प्रभावित होकर दीवान शत्रुघ्न सिंह गांधीवादी बन गए थे। पढ़ाई के साथ ही ये क्रांतिकारी गतिविधियों का हिस्सा बने। आजादी की 75वीं सालगिरह पर इनके पैतृक गांव में आयोजन करने की तैयारी है।
वंडर वुमेन फेस्ट में बीबा, वेरो मोडा और अधिक जैसे शीर्ष ब्रांडों को 70% तक की छूट पर एक्सप्लोर करें, अब 30 जुलाई तक लाइव, सर्वोत्तम ऑफ़र प्राप्त करने के लिए अभी खरीदारी करें।
121 साल पहले दीवान साहब भी कांग्रेस पार्टी की स्थापना वालों में एक थे
हमीरपुर के समाजसेवी हरिमोहन चंदसौरिया और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण सिंह राजपूत ने बताया कि दीवान शत्रुघ्न सिंह ने वर्ष 1900 में कांग्रेस पार्टी की स्थापना करने वाले सदस्यों में थे। क्षेत्र के सिकरौंधा गांव में पहली बार एक सभा कर बेगार प्रथा के विरोध में हुंकार भरी थी। उस जमाने में भीषण गर्मी के कार्यकर्ताओं के साथ दीवान साहब ने श्यामला देवी के मेले में पौशाला लगवाकर ग्रामीणों को बिना किसी भेदभाव के पानी मुहैया कराया था। कांग्रेस पार्टी के लिए इन्होंने क्षेत्र में सामाजिक कार्य भी किए थे। वर्ष 1952 में आचार्य विनोवा भावे के भूदान यज्ञ में इन्होंने अपना पैतृक गांव मंगरौठ ही दान कर दिया था।
युद्ध फंड में चंदा देने से इन्कार कर दीवान साहब ने की थी बगावत
पूरा देश अंग्रेजों के कब्जे में था। हमीरपुर में वर्ष 1939 से 1940 तक जेएम लोगों प्रभु कलेक्टर थे। बताते हैं कि विश्वयुद्ध के दौरान यहां हमीरपुर में फंड एकत्र किया गया था। अंग्रेज कलेक्टर जेएम लोगों के सामने हमीरपुर जिले के राठ तहसील परिसर में लगाए गए दरबार में दीवान शत्रुघ्न सिंह ने अंग्रेज तहसीलदार को युद्ध फंड में चंदा देने से साफ मना कर दिया था। तब कलेक्टर ने उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। उनके खिलाफ यहां पहला राजनीतिक मुकदमा भी दर्ज हुआ था। कांग्रेस के वालेंटियर की भर्ती पर रोक लगाने के दौरान निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर सत्याग्रह करने पर दीवान साहब को जेल भेजा गया था।
महात्मा गांधी के आह्वान पर चला था भारत छोड़ो आंदोलन
साहित्यकार डॉ. भवानीदीन प्रजापति एवं समाजसेवी हरिमोहन चंदसौरियां ने बताया कि सत्याग्रह करने पर दीवान साहब को डेढ़ साल की सजा मिली थी। सजा के बाद इन्हें आगरा जेल भेजा गया था। नमक सत्याग्रह करने पर भी इन्हें तमाम साथियों के साथ हमीरपुर, उन्नाव और लखनऊ की जेल में सजा काटनी पड़ी थी। व्यक्तिगत सत्याग्रह करने पर उन्हें सेन्ट्रल जेल चुनार भेजा गया था। बताया कि महात्मा गांधी के आह्वान पर दीवान साहब ने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। यह आंदोलन 1942 से 1945 तक चला, जिसमें इन्हें हमीरपुर और फतेहगढ़ में कारागार की हवा खानी पड़ी थी।
अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने बोला था हल्ला
हमीरपुर के गजेटियर में दीवान शत्रुघ्न सिंह व श्रीपत सहाय समेत तमाम सेनानियों के नाम आज भी दर्ज हैं। अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन के लिए यहां के क्रांतिकारियों ने गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया था, जिसमें दीवान साहब, रानी राजेन्द्र कुमारी व श्रीपत सहाय सहित तमाम सेनानी जेल गए थे। लोकतंत्र सेनानी देवी प्रसाद गुप्ता व सरस्वती शरण का कहना है कि भारत छोड़ो आन्दोलन में क्रांतिकारियों के साथ स्थानीय लोग भी आन्दोलन में शामिल हुए थे। बताया कि देश स्वतंत्र होने के बाद यहां 1952 में आचार्य विनोवा भावे ने यहां भूदान यज्ञ किया था, जिसमें दीवान साहब ने अपना गांव दान किया था।