उत्तरप्रदेश | मानसूनी बादल विदा हो गए. दो दिनों से तीखी धूप के चलते दिन में न सिर्फ पसीने की बूंदें टपक रही हैं बल्कि धूल के चलते वायु प्रदूषण में तीन गुना से अधिक उछाल आया है. यह स्थिति दो माह बाद दिखी है. इससे सांसों की चाल गड़बड़ हो सकती है यानी सांस के रोगियों की मुश्किलें बढ़ेंगी.
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में घट-बढ़ से वायु प्रदूषण की स्थिति पता चलती है. शहर की आबोहवा का गुणवत्ता सूचकांक 82 था. दो दिन पहले यानी शुक्रवार को वह 24 था. भेलूपुर जोन में एक्यूआई सर्वाधिक 152 दर्ज किया गया. यह जोन येलो जोन में पहुंच गया है. यहां रात में नौ से 11 बजे तक पीएम 2.5 और पीएम-10 दो सौ से अधिक था. मानक के अनुसार पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम और पीएम-10 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए. भेलूपुर में पीएम 2.5 तीन गुना और पीएम 10 दो गुना ज्यादा है. मलदहिया में एक्यूआई 68, अर्दली बाजार में 49 और बीएचयू में 58 था. 50 से अधिक एक्यूआई होने पर हवा सेहत के लिए ठीक नहीं मानी जाती.
तीन माह तक सजग रहें सांस के रोगी विशेषज्ञ
वरिष्ठ चेस्ट रोग विशेषज्ञ प्रो. जीएन श्रीवास्तव ने कहा कि अगले तीन महीने तक सांस के पुराने रोगियों को सजग रहने की जरूरत है. उन्हें सांस लेने में समस्या हो सकती है. बुजुर्ग इन्हेलर जरूर लें, दवा नियमित सेवन करें. क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी डॉ. एससी शुक्ल ने बताया कि अधिक एक्यूआई होने के कारण चिह्नित कर संबंधित क्षेत्र में प्रभावी उपाय किए जाएंगे.
वाराणसी. धूप में तल्खी बढ़ गई है. सूरज की तपिश से लोग बेहाल हैं. दिन का तापमान सामान्य से अधिक हो गया है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी एक सप्ताह तक धूप ऐसे ही तल्ख रहेगी. सुबह से ही तेज धूप निकली थी. दिन का तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक 35.4 और रात का तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम वैज्ञानिक प्रो. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि आसमान साफ है. ऐसे में अभी तापमान बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि अभी पूर्वी यूपी से मानसून की विदाई नहीं हुई है. दो दिन बाद उसके विदा होने की संभावना है.
कार्बन की मात्रा भी अधिक
मानक के अनुसार हवा में चार माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर कार्बन होना चाहिए. भेलूपुर में 73, मलदहिया में 63, अर्दली बाजार में 35, बीएचयू में 40 माइक्रोग्राम कार्बन दर्ज किया गया है.
धूल पर नहीं ध्यान
इस समय शहर के लगभग चारो ओर सड़क, पुल आदि के बड़े प्रोजेक्ट के अलावा घरों के भी निर्माण कार्य चल रहे हैं. उनके चलते हवा में उड़ रहे धूलकणों की ओर किसी विभाग का ध्यान नहीं है.