लावड़ न्यूज़: कस्बे के गांव देदवा में आज के युग में भी ग्रामीणों के लिए काली नदी का पानी श्राप बना हुआ है। इस गांव के लोग हैंडपंपों व सबमर्सिबल का पानी पीकर एक के बाद एक मौत के आगोश में समा रहे हैं। अगर इस गांव का पिछले 15 से 17 वर्षों का इतिहास देखा जाए तो इससे साफ पता चलता है कि यहां के दूषित पानी से अब तक लगभग 400 मौत गंभीर बीमारी होने से हो चुकी हैं।
अब अगर मौजूदा हालात पर नजर डाली जाए तो इस गांव में आज भी 20 से 30 ग्रामीण ऐसे हैं। जो गंभीर जानलेवा बीमारी से ग्रस्त हैं। एक तो करोना बीमारी का डर ऊपर से इस गांव का दूषित पानी, जिसकी वजह से गांव में रहने वाले लोगों के लिए यह गांव शापित बन गया है।
इस गांव का पानी अब बिल्कुल भी पीने योग्य नहीं है। इसके साथ साथ आसपास के गांव में भी दूषित पानी ने तबाही मचा रखी है। यह समस्या ग्रामीणों के लिए नासूर बन चुकी है। अभी तो काली नदी में पानी नहीं चल रहा है। नदी फिलहाल सुखी पड़ी है, लेकिन इस नदी का पानी जमीन के अंदर जाने के कारण इस नदी के आसपास के गांव का पानी खराब हो चुका है।
ग्रामीण बताते हैं कि अब से 30 साल पहले ऐसा नहीं था। यह नदी बहुत अच्छी नदी हुआ करती थी। पानी भी साफ हुआ करता था, लेकिन जब से आसपास के फैक्ट्री और मीलों का गंदा पानी इसमें डाला गया था तब से ही इस नदी के हालात बद से बदतर हो गए। जिसका खामियाजा आसपास के देहात के ग्रामीण आज तक भुगत रहे हैं।
सबसे ज्यादा खराब पानी तो दौराला ब्लॉक के देदवा गांव का है। इस गांव से होकर नदी निकल रही है अब यह नदी पूरी तरह सुखी हुई है, लेकिन इस नदी में अब कूड़ा करकट फैला हुआ है। नदी का पानी जमीन के अंदर जाने के कारण गांव का पानी जहरीला हो चुका है। पानी खराब होने के कारण यहां के लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं। जिस कारण लोग एक के बाद एक दम तोड़ रहे हैं।
जिसके चलते देदवा गांव के लोग खौफ के साए में जी रहे है। इस भयंकर समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए ग्रामीणों द्वारा कई बार आंदोलन तक किया गया लेकिन हर बार उनका यह प्रयास विफल रहा। अनेकों बार ग्रामीणों ने लिखित में अधिकारियों से मिलकर शिकायत भी की लेकिन उसके बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ। गांव का पानी जहरीला होने के लिए लोग प्रदूषण विभाग को दोषी मानने लगे हैं ग्रामीण दूषित पानी काली नदी में डालने के लिए औद्योगिक इकाइयों को जितना जिम्मेदार मानते है
उतना ही प्रदूषण विभाग के अफसर भी जिम्मेदार समझते हैं। कागजों में इकाइयों के ईटीपी से निकले पानी के नमूने लेते रहते हैं और नोटिस देकर अपने करते कर्त्तव्य को इतिश्री मान लेते हैं। ग्रामीणों की शिकायत पर कार्रवाई नहीं की जाती क्षेत्रवासियों का कहना है कि प्रदूषण विभाग के अफसर नहीं जागे तो जल्दी ही यह गांव शमशान में बदल जायेगा। प्रदूषण पर सख्ती और उस पर प्रशासनिक कवायद के बीच एक गांव ऐसा भी है
जो जलीय प्रदूषण के चलते कैंसर से जुझ रहा है। वह गांव दे दुआ है। बच्चों से लेकर जवान और बूढ़े बुजुर्ग तक इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं। जिसमें कैंसर, पीलिया, खुजली व चर्म रोग आदि बीमारी के शिकार अधिक है और वह इस भयंकर बीमारी से अपने जीवन के लिए लड़ाई कर रहे हैं गांव के 20 से 30 लोग वर्धमान में हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित है गांव वाले इसका कारण पास में काली नदी के दूषित पानी को जिÞम्मेदार मानते हैं।
इसके चलते गांव में लगे हैंडपंपों से भी इस कदर गंदा पानी निकलता है। जिसको सिर्फ उबालकर ही पानी पिया जा सकता है। दूषित पानी की वजह से डर और खौफ के साए में जी रहे गांव के लोगों ने अब गांव से पलायन भी करना शुरू कर दिया है।लगभग 10 परिवार गांव छोड़कर जा चुके हैं।
काली नदी बन रही ग्रामीणों का कॉल: देदवा गांव की आबादी करीब 3000 से ज्यादा है इस गांव के 6 से 7 लोग कैंसर जैसी भयंकर बीमारी और कई लोग पीलिया आत्र व किडनी के रोगों से पीड़ित है। कई बार शिकायत के बाद भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारि ध्यान नहीं दे रहे हैं। काल बनी इस नदी के प्रदूषण की कभी जांच नहीं कराई गई है। ग्रामीण बताते हैं कि औद्योगिक इकाइयों ने काली नदी व क्षेत्र का पेय जल प्रदूषित कर दिया है नर्क बना दिया है। जहरीले पानी से भूजल में शीशा आर्सेनिक एलमुनियम एलमुनियम सायनाइड की मात्रा जानलेवा स्तर तक पहुंच चुकी है जिसके कारण ग्रामीणों में कैंसर दिल का दौरा त्वचा रोग पीलिया व गुर्दे फेल होने की बीमारी पैदा हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि 5 वर्ष के दौरान कैंसर, दिमाग की बीमारी, गुर्दे फेल होना, दिल का दौरा पड़ना, टीवी, व पीलिया आदि जैसी घातक बीमारियों के करीब 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
समस्या को झेलते झेलते हो गए बूढ़े: ग्रामीण महेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि इस समस्या को झेलते हुए वह बुजुर्ग हो गए कई पीढ़ी उनकी इस समस्या से जूझ रही है लेकिन आज तक इस समस्या कोई समाधान नहीं किया गया है। आने वाले समय में नौजवान युवक और बच्चों पर इस दूषित पानी का सेवन करने के कारण बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ेगा।आने वाले समय में भी बच्चे भी कैंसर जैसी भयंकर बीमारी का शिकार होंगे।
बीमारी के कारण लोग कर रहे हैं गांव से पलायन: ग्रामीण विजेंद्र सिंह का कहना है कि इस दूषित पानी पीते पीते उन्होंने अपनी आंखों के सामने कई नौजवान बच्चों और बुजुर्गों को मरते हुए देखा है। जिसकी वजह से गांव के बहुत से लोगों ने गांव से पलायन कर लिया है। अब वह गांव से दूर शहर में जाकर रहने लगे हैं। गांव के लोगों में बीमारी का भय बना हुआ है। इसलिए बाहर से आए हुए मेहमान भी गांव का पानी पीने से बचने लगे हैं।
क्षेत्रीय विधायक और अधिकारियों से कई बार की शिकायत: दौराला ब्लॉक के प्रमुख भंडारी ने बताया कि ने की उन्होंने ग्रामीणों के साथ मिलकर डीएम और जल विभाग के अधिकारियों से इसकी कई बार शिकायत कराई गई। लिखित में भी कई बार संबंधित अधिकारियों को शिकायत पत्र दिया गया है, लेकिन किसी भी अधिकारी पर आज तक कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अब वह इसकी शिकायत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करेंगे।
20 मिनट में पानी बदल देता है रंग: ग्रामीण गुलबीर सिंह ने बोतल में पानी भर कर दिखाते हुए बताया कि यहां का पानी अगर आप बोतल में भर कर रख दो तो वह 20 मिनट में ही पीला पड़ जाता है। जिसे पीने के बाद आदमी के शरीर के अंदर गुर्दों में पानी में मिला हुआ पदार्थ आतों और गुर्दे में जमकर पेट को बेहद ही नुकसान पहुंचाता है। जिसके बाद आदमी को पेट दर्द की शिकायत होने लगती है। इसलिए ग्रामीण गांव से 1 किलोमीटर दूर ट्यूबवेल से पानी भरकर लाते हैं।