लखनऊ न्यूज़: पांच दशक पहले घोटाला हुआ. चकबंदी के दौरान सरोजनीनगर के सात गांवों में अफसरों ने 380 बीघा जमीन अपने करीबियों के नाम जमीनें दर्ज कर दीं. अब लगभग दो सौ करोड़ की इन जमीनों को वापस सरकार के नाम दर्ज किया जाएगा. तहसील में इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है. अलग अलग शिकायतों के आधार पर डीएम ने इस मामले में एसडीएम को जांच करने का निर्देश दिया था.
जांच में पाया गया कि शिकायतें सहीं थीं. 1975 से 1985 के बीच जमीनों के पट्टे दस्तावेजों में दर्ज दिखाए गए. इन पट्टों में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. अधिकारियों के हस्ताक्षर भी नहीं थे. अधिसंख्य में फर्जी इन्द्राज के मामले थे. ऐसे में जांच के बाद एसडीएम ने इन मामलों का खुद संज्ञान लेते हुए जमीनों को वापस सरकारी खाते में दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. एसडीएम कोर्ट में मुकदमा दर्ज करने के बाद संबंधित लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं ताकि वे अपना पक्ष रख सकें.
शिकायतें लम्बे समय से हो रही थी जिन गांवों में ये घोटाला हुआ उनमें बीवीपुर, जैतीखेड़ा, मकदूमपुर कैथी, अरदौनामऊ, नटकुर आदि शामिल हैं. दरअसल, सरोजनीनगर में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों की शिकायतें लम्बे समय से हो रही थीं. क्योंकि मामला काफी पहले का था इसलिए पूर्व के अफसरों ने ध्यान नहीं दिया. इसी बीच कुछ लोगों ने जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की तो डीएम सूर्य पाल गंगवार ने एसडीएम सिद्धार्थ को जांच का निर्देश दिया.