Gorakhpur: लाइनों के बीच वाटर हाइड्रेंट लगाने में पेंच फंसा

इसकी जानकारी संयुक्त टीम की जांच में हुआ

Update: 2024-07-20 05:32 GMT

गोरखपुर: करीब साल की कड़ी मशक्कत के बाद कैंट सेटेलाइट स्टेशन तो बन गया लेकिन अब यहां लाइनों के बीच वाटर हाइड्रेंट लगाने में पेंच फंस गया है. वर्तमान मानकों के हिसाब स्टेशन के लाइन नम्बर 6-7 और 8-9 के बीच के फासला कम है. इसकी जानकारी संयुक्त टीम की जांच में हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान मानकों के हिसाब से लाइनों के बीच का फासला (गैप) 5.3 मीटर होना चाहिए लेकिन यहां पेयर लाइनों के बीच का फासला काफी कम है. लाइन नंबर 6-7 के बीच गैप 4.59 मीटर जबकि 8-9 के बीच का गैप 4.43 मीटर है. गैप कम होने से नों लाइनों के बीच वाटर हाइड्रेंट (कोच वाटर फिलिंग मशीन) लगाने का काम नहीं हो पा रहा है. कैंट में मौजूदा समय में नौ लाइनें हैं. जिसमें पेयर लाइनों के बीच यह दिक्कत आ रही है. जिस समय लाइन का निर्माण हुआ था उस समय फासला 4.26 मीटर था.

ऐसे सामने आया मामला लाइनों के बीच हाइड्रेंट न लग पाने के कारणों का पता लगाने के लिए अफसरों ने संयुक्त टीम बनाकर जांच कराई तब ट्रैक के बीच गैप कम होने का मामला सामने आया. लाइनों के बीच फासला कम होने से यहां अंडरग्राउंड पाइप के जरिए ही बोगियों में पानी भरा जा सकेगा. फिलहाल उसी को लेकर अब मंथन चल रहा है. दरअसल, कम फासला वाली लाइनें पहले की हैं लेकिन तब कैंट सेटेलाइट स्टेशन के रूप में क्रियाशील नहीं था, इसलिए उस समय हाइड्रेंट की जरूरत नहीं पड़ी.

लंबे समय से चल रही थी कवायद कैंट स्टेशन को सैटेलाइट के रूप में विकसित करने की कवायद कई वर्षों से चल रही थी. नई लाइनें बिछाकर ये काम इस साल पूरा कर लिया गया. सेटेलाइट बनने के साथ ही कैंट से कुसम्ही तक तीसरी लाइन भी बिछा दी गई और उस पर ट्रेनों का संचलन भी शुरू हो गया. यहां नरकटियागंज की तरफ ट्रेनें ओरिजिनेट भी की जा रही हैं. इससे जहां गोरखपुर जंक्शन का लोड कम हुआ है वहीं ट्रेनों की लेटलतीफी भी कम हुई है.

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