Ghaziabad: अब बिना जांच के बैंक खाते नहीं किए जाएंगे अटैच
जीएसटी ने दी व्यापारियों को राहत
गाजियाबाद: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का बकाया वसूलने के लिए डिफाल्टर फर्मों के खाते अटैच करने की कार्रवाई से प्रदेशभर में अफरातफरी का माहौल बन गया है। जिन व्यापारियों ने बकाया राशि का भुगतान कर दिया है, उनके भी खाते अटैच करने के मामले सामने आ रहे हैं। उद्यमी-व्यापारी संगठन इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। इस बीच राज्य कर आयुक्त ने पत्र जारी कर बिना जांच के बैंक खाते अटैच नहीं करने के आदेश दिए हैं। आदेश में नियमों की अनदेखी कर बैंक खाते अटैच करने वाले कर निर्धारण अधिकारियों पर अनुशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
राज्य कर विभाग की गाजियाबाद रेंज-एक व रेंज दो में अब तक 12 हजार से ज्यादा खातों को अटैच किया जा चुका है। हालांकि, अधिकारियों का मानना था कि बकायेदार फर्मों को बार-बार नोटिस जारी किए गए। इसके बाद आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) भी जारी किए जा चुके हैं। ऐसे में गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर और मोदीनगर की सभी बैंक शाखाओं को नोटिस भेजकर डिफाल्टर फर्मों की जमा धनराशि रोकने की हिदायत दी गई थी।
इनमें ऐसे बकायेदार ज्यादा हैं जो जुलाई 2017 से पहले वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) में पंजीकृत थे। इन बकायेदारों ने अपनी फर्मों का जीएसटीआईएन नंबर तो ले लिया लेकिन वैट का बकाया जमा नहीं किया है। भुगतान नहीं होने पर डीआरसी-07 के माध्यम से (बैंक खातों को अटैच/सीज कर) बकाया वसूली की जा रही है। जोन-1 में डिफाल्टरों की संख्या 21,778 है, जिन पर 1385.67 करोड़ रुपया बकाया है जबकि जोन-2 में 18,340 डिफाल्टरों पर 185.65 करोड़ रुपया बकाया बताया जा रहा है, जिसमें 12 हजार खाते अटैच अटैच कर बकाया राशि वसूली जा चुकी है।
राज्य कर आयुक्त नितिन बंसल की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट कर दिया गया है कि बैंक खाता अटैच करने की कार्रवाई से पहले संबंधित फर्म की पत्रावली जांच ली जाएं कि फर्म पर बकाया है या नहीं। यदि भविष्य में किसी फर्म के वाद या आरसी के निस्तारण के बाद भी नियमों के विपरीत कोई कार्रवाई की गई तो संबंधित कर निर्धारण अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। जिन वादों का निस्तारण हो चुका है, उनमें भी वसूली की शिकायतें मिल रही हैं।