Gaziabad: पाइपलाइन चार बार डली, लोग पीने के लिए बोतल बंद पानी पर निर्भर

पानी अब तक नहीं मिला

Update: 2024-06-28 08:47 GMT

गाजियाबाद: श्याम पार्क मेन की तीन गलियों में रहने वाले दो हजार से अधिक लोग 25 साल से पेयजल का इंतजार कर रहे हैं. इस दौरान चार बार पूरे इलाके में पाइपलाइन डाली जा चुकी है. यहां के लोग पीने के लिए बोतल बंद पानी पर निर्भर हैं. बाकी जरूरतों के लिए सबमर्सिबल का पानी प्रयोग करते हैं.

लोगों ने बताया कि भूजल स्तर गिरने से कई घरों में सबमर्सिबल भी काम नहीं कर रहे हैं. कई बार गुहार लगाने के बाद भी सिर्फ आश्वासन ही मिला है. श्याम पार्क इलाका 1952 में बसा था और इसी अलग होकर श्यामपार्क मेन बना. यहां 20 हजार से अधिक की आबादी रहती है. पिछले 25 साल में यहां चार बार पेयजल की पाइन लाइन डाली गई, लेकिन अभी तक गली नंबर चार सभी घरों में और गली नंबर तीन, एक के कुछ घरों में पानी नहीं पहुंच सका है. यहां दो सौ मकानों में साढ़े तीन सौ परिवार रहते हैं.

लोगों ने बताया कि 2021-22 में अमृत योजना के तहत 20 करोड़ की लागत से लाइन डाली गई थी, इससे कुछ ही घरों में आपूर्ति शुरू हुई.

हैंडपंप से जरूरत पूरी करने को मजबूर: स्थानीय निवासी राजेश झा ने बताया कि कॉलोनी में बीते 25 सालों से पानी की समस्या बनी हुई है. पेयजल की पाइपलाइन तो डाली गई, मगर आज तक पानी नहीं आया है. लोगों को बोतल बंद पानी खरीदकर पेयजल जरूरत पूरी करनी पड़ रही है. वहीं, घर की जरूरत पूरी करने के लिए लोग हैंडपंप और समर्सिबल पर पूरी तरह निर्भर है.

इलाके में पाइपलाइन डाली गई थी, लेकिन मेन लाइन से कनेक्शन न हो पाने से कुछ घरों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है. इस समस्या को जल्द दूर कराएंगे.

- ओम प्रकाश, सहायक अभियंता, जलकल विभाग

मेन लाइन से नहीं जोड़ा गया: श्याम पार्क मेन में पहने वाले सत्यप्रकाश ने बताया कि पुरानी लाइन को बदलकर कई बार नई लाइन डाली जाती रही, इसके अलावा दूसरी लाइन भी डाली गई, लेकिन इस हिस्से की लाइन को मेन लाइन से नहीं जोड़ा गया. इससे घरों में पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.

आपूर्ति के बिना लिया जा रहा टैक्स: श्याम पार्क मेन में पहने वाले लोग पेयजल के लिए पूरी तरह से बोतल बंद पानी पर निर्भर हैं. पानी पर एक माह में डेढ़ से दो हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे है. रवि ने बताया कि गली नंबर तीन में 50 घरों में पानी नहीं आता है, लेकिन फिर भी नगर निगम हाउस टैक्स में पानी का शुल्क जोड़कर बिल भेजता है. लोगों को मजबूरी में इसका भुगतान भी करना पड़ता है और पानी भी खरीद रहे हैं. शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, हर बार सिर्फ आश्वासन देकर टाल दिया जाता है.

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