Gaziabad: मातृ-शिशु देखभाल वार्ड में सिलेंडर से ऑक्सीजन पहुंचेगी

प्रदेश सरकार के पायलट प्रोजेक्ट शुरू होने में समय लग सकता है.

Update: 2024-08-02 04:44 GMT

गाजियाबाद: मातृ शिशु देखभाल के नए वार्ड में ऑक्सीजन आपूर्ति सिलेंडर से पाइपलाइन में की जाएगी. इसके लिए महिला अस्पताल से 13 बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर संयुक्त अस्पताल से मांगे जा रहे हैं. सीधे एलएमओ प्लांट से पाइपलाइन जोड़ने की योजना बजट के अभाव में अटक गई है. ऐसे में प्रदेश सरकार के पायलट प्रोजेक्ट शुरू होने में समय लग सकता है.

प्रदेश सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में गंभीर नवजात और प्रसूता को एक साथ रखने के लिए मदर सिक नेटल केयर यूनिट (एमएसएनसीयू) तैयार किया जा रहा. इसके लिए मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए महिला अस्पताल में प्रथम तल पर वार्ड बनाया जा रहा. शासन ने वार्ड को तैयार करने की जिम्मेदारी कम्युनिटी इम्पावरमेंट लैब (सीईएल) संस्था को दी है. अस्पताल में प्रथम तल पर एमएनसीयू और एसएनसीयू संचालित है. वार्ड के निर्माण की वजह से प्रसूता और नवजात को फिलहाल मदर नेटल केयर यूनिट (एमएनसीयू) में शिफ्ट कर दिया गया है. अब वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर सीईएल कंपनी की ओर से कवायद चल रही. वार्ड के अंदर पहले एमएमजी अस्पताल में लगे एलएमओ प्लांट से सीधे पाइपलाइन लाकर ऑक्सीजन की सुविधा देने की योजना थी, लेकिन सरकारी बजट के अभाव की वजह से मामला अटक गया है.

मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल के प्रयास से इस कार्य को सीआरएस फंड से कराने का प्रयास किया गया, लेकिन किसी कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई. इसके बाद सीडीओ ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए सिलेंडर की व्यवस्था करने के निर्देश सीएमओ को दिए. सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर के प्रयास से 13 बड़े सिलेंडर संयुक्त अस्पताल देने के लिए तैयार हो गया है. सीएमओ ने बताया कि कंपनी को 15 सिलेंडर की जरूरत थी. इनमें से दो सिलेंडर महिला अस्पताल के पास हैं.

संयुक्त अस्पताल के प्रबंधन को 13 बड़े सिलेंडर का मांग पत्र जल्द भेजा जाएगा. इसके लिए उच्चाधिकारियों की अस्पताल प्रबंधक से बात हो चुकी है. -डॉ. अलका शर्मा, सीएमएस, महिला अस्पताल

एमएमजी अस्पताल के एलएमओ प्लांट से महिला अस्पताल तक करीब 500 मीटर की ऑक्सीजन की पाइपलाइन बिछानी पड़ेगी. इसकी अनुमानित लागत पांच लाख रुपये से अधिक है. पाइपलाइन न बिछने से अब प्लांट से सिलेंडर भरने के साथ अस्पताल तक उन्हें लाने का कार्य बढ़ जाएगा. साथ ही, नवजात के उपचार को देखते हुए अस्पताल और कार्यदायी संस्था को ऑक्सीजन की उपलब्धता भी बनाए रखनी होगी.

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