Gaziabad: सरकारी विभागों की लापरवाही से पिछले तीन साल से डंपिंग यार्ड बनाने के लिए जमीन नहीं मिल पाई

डंपिंग यार्ड न होने से पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे

Update: 2024-06-10 11:07 GMT

गाजियाबाद: जिले के सरकारी विभागों को डंपिंग यार्ड के लिए जमीन नहीं मिल पा रही है. इससे शहर की सड़कों पर दौड़ रहे तीन लाख से ज्यादा पुराने वाहनों पर सख्ती नहीं हो पा रही है. सरकारी विभागों की लापरवाही से पिछले तीन साल से डंपिंग यार्ड बनाने के लिए जमीन नहीं मिल पाई हैं.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के बाद भी गाजियाबाद समेत एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध नहीं लग पाया है. परिवहन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गाजियाबाद में पंजीकृत तीन लाख से ज्यादा वाहन अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं. इनमें बस, ट्रक, कार, आटो, टैक्सी समेत दो पहिया वाहन शामिल हैं. इन वाहनों की धरपकड़ को लेकर परिवहन विभाग की गंभीर नहीं दिख रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि विभाग के पास इन वाहनों को रखने के लिए कोई स्थान नहीं है. परिवहन विभाग केवल ऐसे वाहनों पर ही कार्रवाई करता है, जिनसे राजस्व वसूली को बढ़ाया जा सके. परिवहन विभाग के प्रवर्तन अधिकारी पुराने वाहनों को रोकते तक नहीं हैं, क्योंकि उन्हें जब्त करने के लिए जगह का टोटा हैं.

डंपिंग यार्ड के लिए तीन साल पहले जमीन की तलाश शुरू हुई थी. दो बार प्रस्ताव भी तैयार हए. पहला प्रस्ताव बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र और दूसरा नूरनगर सिहानी में यार्ड बनाने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन दोनों प्रस्ताव गिर गए. छह महीने पहले शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी ने नगर निगम, जीडीए, नगर पालिका समेत सरकारी विभागों को नए सिरे से यार्ड के लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिए. लेकिन अभी तक जिले में कहीं भी जमीन नहीं मिल पाई हैं.

कार्रवाई को लेकर बेबस 10 से 15 साल पुराने वाहनों का दिल्ली-एनसीआर में संचालन प्रतिबंधित है. इसको देखते हुए परिवहन विभाग निष्प्रोज्य वाहनों को जब्त करने का दबाव है. लेकिन वाहनों को रखने के लिए डंपिंग यार्ड ना होने की वजह से विभाग कार्रवाई में बेबस है. विभाग के पास ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां पर वाहनों को सीज करके रखा जा सके. इसी वजह से परिवहन विभाग और यातायात पुलिस कार्रवाई करने में पिछड़ रहे हैं.

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