इलाहाबाद न्यूज़: ‘हैलो...डीजीपी साहब अतीक बोल रहा हूं.... मेरी हत्या करवा देंगे क्या.... आपका एसएसपी मेरी सुनता नहीं है. मैं विधायक रहा हूं और मेरे विरोधियों की सुन रहा है. मुझे सांसदी लड़नी है. आपको एसएमएस किए हैं. देख लीजिए मेरे इंस्पेक्टर को ही तैनात करवा दीजिए...उस थाने पर...’
यह रिटायर हो चुके तत्कालीन डीजीपी की जेल में बंद अतीक से गुफ्तगू की बानगी ही नहीं, हकीकत बयां करता किस्सा है कि कानून-व्यवस्था और नियम किस तरह अतीक के ठेंगे पर रहते थे.
वर्ष 2003-04 के आसपास प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी. अतीक उन दिनों जेल में था. जेल में मुहैया सुविधा तत्कालीन डीजीपी चाहते हुए भी रुकवा नहीं सके. दूसरा किस्सा वर्ष 2016 का है. प्रयागराज में सपा सरकार ने आरके चतुर्वेदी को आईजी तैनात किया. इसके चलते अतीक की मनमानी पर प्रयागराज में लगाम सी लगने लगी. बालसन चौराहे के करीब केंद्र सरकार का कार्यालय बन रहा था. यह जमीन कोलकाता निवासी बुजुर्ग महिला की थी. यह बंगला था जो काफी समय से वीरान था, अतीक कब्जाना चाहता था. इसकी आईजी से कुछ लोगों ने शिकायत की कि अतीक इस पर कब्जा करना चाह रहा है. आईजी आरके चतुर्वेदी ने जांच कराई तो पता चला कि किसी तरह अतीक कोलकाता जाकर महिला से पावर आफ अर्टानी ले आया है और कब्जा करने लगा. आईजी को शिकायत हुई तो उन्होंने कर्नलगंज इंस्पेक्टर को मौके पर भेजा. तत्कालीन कर्नलगंज इंस्पेक्टर तेज-तर्रार था. उसने अतीक के गुर्गों को लाठीचार्ज कर वहां से खदेड़ दिया और बंगले पर 145 के तहत कार्रवाई कर दी.