माफिया से लेकर एक्टर और क्रिकेटर जिले के सियासी दंगल में उतरे

जिले की नों लोकसभा सीटों पर संत से लेकर माफिया तो एक्टर से लेकर क्रिकेटर तक ने अपनी किस्मत आजमाई है

Update: 2024-04-15 08:57 GMT

इलाहाबाद: आजादी के समय देश की राजनीति की धुरी रही संगमनगरी ने तरह-तरह के प्रत्याशियों को सियासी दंगल में ताल ठोंकते देखा है. जिले की नों लोकसभा सीटों पर संत से लेकर माफिया तो एक्टर से लेकर क्रिकेटर तक ने अपनी किस्मत आजमाई है. किसी को जीत मिली तो अधिकांश को हार का मुंह देखना पड़ा. बात 1952 में हुए सबसे पहले आम चुनाव की करें तो प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के हिन्दू कोड बिल लाने की घोषणा के विरोध में संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी इलाहाबाद ईस्ट कम जौनपुर वेस्ट (वर्तमान में फूलपुर) से चुनावी समर में कूद पड़े थे. इस चुनाव में कुल पड़े 603022 मतों में से पंडित नेहरू को 233571 और प्रभुदत्त ब्रह्मचारी को 56718 वोट मिले थे.

मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन के कॅरियर के एकमात्र 1984 के चुनाव के बारे में तो सभी जानते हैं. अमिताभ ने राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित नेता हेमवती नंदन बहुगुणा को फिल्मी अंदाज में रिकॉर्ड मतों से परास्त कर दिया था. पूर्व राजघराने से ताल्लुक रखने वाले भारत के एकमात्र प्रधानमंत्री राजा मांडा विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इलाहाबाद और फूलपुर नों संसदीय सीटों से चुनाव लड़ा और जीते भी. 2004 में सपा के टिकट पर फूलपुर से सांसद बने माफिया अतीक अहमद के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम के करीबी माने जाने वाले माफिया रोमेश शर्मा ने भी 1996 में फूलपुर से आम चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे रोमेश शर्मा 3623 मतों के साथ छठवें स्थान पर था. दिल्ली के तंदूरकांड से कुख्यात हुआ रोमेश शर्मा फूलपुर क्षेत्र का ही मूल निवासी था. फूलपुर से ही मशहूर क्रिकेटर मो. कैफ ने भी 2014 में किस्मत आजमाई लेकिन सफलता नहीं मिली. प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सीट पर कांग्रेस ने मो. कैफ को प्रत्याशी बनाया था और 58,127 मतों के साथ वह चौथे स्थान पर रहे थे. उस चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य ने 503,564 मत हासिल करके पहली बार भाजपा को जीत दिलाई थी. चुनावी दंगल में प्रोफेसर भी पीछे नहीं रहे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. मुरली मनोहर जोशी बार सांसद चुने गए तो वहीं एक अन्य प्रोफेसर डॉ रीता बहुगुणा जोशी 2019 में निर्वाचित हुईं.

रजवाड़ों के जिले ने माफिया को नकारा: बेल्हा के मदन मोहन मालवीय कहे जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय की सीट पर जिले के राजघरानों ने बार रहनुमाई की. यहां के सियासी दंगल में रजवाड़ों का बोलबाला रहा. खेल और सिनेजगत के लोगों ने दूरी बनाए रखी. माफिया जरूर आए लेकिन जिले के लोगों ने उनकी दाल नहीं गलने दी. अलबत्ता अयोध्या के संत और मुंबई के उद्योगपतियों को हाथोंहाथ लिया. पूर्वी-पश्चिमी प्रतापगढ़ समाप्त होने के बाद 1962 में प्रतापगढ़ सीट पर राजा अजीत प्रताप सिंह को जीत मिली. राजा अजीत बारा 1980 में जीते. जबकि उनके बेटे राजा अभय प्रताप सिंह 1991 में सांसद बने. इसके अलावा कालाकांकर के राजा दिनेश सिंह बार और उनकी बेटी राजकुमारी रत्ना सिंह बार सांसद रहीं. खेल और सिनेजगत से कोई बड़ा चेहरा प्रतापगढ़ से चुनाव मैदान में नहीं आया. प्रयागराज के माफिया अतीक अहमद ने 2009 में अपनादल से प्रतापगढ़ में अपना पांव जमाना चाहा. उन्हें एक लाख से अधिक वोट भी मिले लेकिन वह वें नंबर पर चले गए. 1998 में अयोध्या के संत डॉ. रामविलास वेदांती को जिले की जनता ने पसंद किया और लोकसभा भेज दिया.

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