ताजा हुईं शोध छात्रों के मामले की यादें

Update: 2023-07-25 10:50 GMT

गोरखपुर न्यूज़: कुलपति प्रो. राजेश सिंह के कार्यकाल में दूसरी बार छात्रों का बड़ा हंगामा देखने को मिला है. हुए बवाल के बाद डेढ़ साल पुरानी यादें एक बार फिर ताजा हो गई हैं. जनवरी 2022 में प्री पीएचडी छात्रों का गुस्सा भड़क गया था. तब आठ छात्राओं समेत 17 शोधार्थियों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था. उसमें छात्रों को हाईकोर्ट से राहत मिली थी. वह वाकया शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों की जुबान पर रहा.

डीडीयू के प्री पीएचडी सत्र 2019-20 के विद्यार्थियों का छह माह का कोर्स ढाई वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका था. परीक्षा कराने की मांग को लेकर कई महीने तक क्रमबद्ध तरीके से ये छात्र आंदोलन करते रहे. वर्ष 2021 के आखिर में तंबू लगाकर शोधार्थियों ने करीब एक पखवारे तक अनशन किया था. इसके बाद डीडीयू प्रशासन ने 8 और 9 जनवरी 2022 को परीक्षा की तिथि निर्धारित की थी.

परीक्षा में बदले प्रारूप का प्रश्नपत्र मिलने का आरोप लगाते हुए कई शोधार्थियों ने परीक्षा का बहिष्कार कर दिया था. घंटों हंगामा भी चला था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों पर उत्तर पुस्तिकाएं फाड़ने और परीक्षा में व्यवधान डालने का आरोप लगाया था. हंगामे को देखते हुए पुलिस के साथ पीएसी भी बुला ली गई थी. अगले दिन होने वाली परीक्षा में भी उन्हें शामिल नहीं होने दिया गया था.

पुलिस ने एफआर लगाई

इस मामले में दर्ज एफआईआर के बाद 74 छात्र-छात्राएं हाईकोर्ट गए थे. हाईकोर्ट से अप्रैल 2022 में इन छात्रों की दोबारा परीक्षा कराए जाने और कॉपी जांचकर मूल्यांकन का आदेश दिया था. इधर, पुलिस ने भी करीब सवा साल तक जांच के बाद आरोपी 17 छात्र-छात्राओं को निर्दोष बताते हुए फाइनल रिपोर्ट लगा दी.

प्रो. गोपाल ने दिया इस्तीफा

इसी घटना के बाद अचानक प्रो. गोपाल प्रसाद ने डीडीयू प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए अप्रैल के आखिर में नियंता व अन्य सभी प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया था. इसे लेकर भी कई दिनों तक चर्चाएं रहीं थीं. हुई घटना के बाद एक बार फिर प्री पीएचडी छात्रों पर हुई कार्रवाई को लेकर परिसर में चर्चाएं होती रहीं.

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