मुजफ्फरनगर: जनपद में कचरा-पन्नी प्लास्टिक से 500 रुपया रोज का कारोबार करने वाले कबाड़ी की फर्म पर 366 करोड़ का लेनदेन कर लिया गया। बड़े कारोबार की जानकारी पर GST विभाग ने छापेमारी की तो असलियत सामने आई। 366 करोड़ के लेन-देन की बात सुनकर घबराए कबाड़ी ने विभाग के उच्च अधिकारियों से जांच की मांग कर न्याय की गुहार लगाई है। जीएसटी विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर का कहना है कि विभागीय अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। फर्म के नाम पर बड़ी संख्या में ईवे बिल काटे गए हैं। प्रथम दृष्टया यह फर्जी नजर आता है। आशंका जताई जा रही है कि इस मामले में जांच के बाद बड़ा फर्जीवाड़ा भी सामने आ सकता है।
जानसठ क्षेत्र के गांव कव्वाल निवासी एजाज ने बताया की मैंने 2 साल पहले जीएसटी ली थी उसमें मैंने फिर वेस्ट कचरा प्लास्टिक का 50 हजार रु का माल भेजा था। उसमें मुझे 30 हजार रु का घाटा हो गया था। फिर मैंने प्लास्टिक कचरे का काम नहीं किया। उसी जीएसटी नंबर से मैंने पुरानी पेंटे,बेडशीट और चादरे हिमाचल भेजी। उन्होंने कहा कि उस जीएसटी नंबर से 6 बिल काटे है कोई 7 वां बिल नहीं काटा है। उसके बाद जीएसटी के सीए को फोन करके कहा कि मेरी जीएसटी आप बंद कर दो, मैं आपकी फीस नहीं दे सकता हूं। और इस वक्त मेरे पास पैसे भी नहीं है में तंग हाल चल रहा हूं। उसके बाद में हिमाचल चला गया और वहां कपड़े की फेरी करता रहा। वहां पर बरसात में तिरपाल बेचता था और सर्दियों में गर्म जैकेट बेचता था।
एज़ाज ने बताया कि जब मैं हिमाचल में था तो मुझे अधिकारियों का फोन आया कि जीएसटी का फ्रॉड हुआ है। अधिकारियों की बात सुनकर मैं डर गया। मैंने अधिकारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि आपकी जीएसटी नंबर पर फ्रॉड हुआ है। इसके जवाब में मैंने अधिकारियों को बताया कि मैंने अपनी जीएसटी सीए से कहकर बंद करा दी थी। उसके बाद से मेरे पास कोई मैसेज भी नहीं आया है। फिर अधिकारियों ने मुजफ्फरनगर आकर मिलने की बात कही तो 2 दिन बाद मुज़फ्फरनगर एसएसपी को एप्लीकेशन देकर अपना पूरा प्रकरण बताया और मदद की गुहार लगाई।
जीएसटी फ्रॉड प्रकरण में जॉइंट जीएसटी कमिश्नर ज्योति स्वरूप शुक्ला ने बताया कि इस तरह का कोई नोटिस अभी जारी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि एक मामला प्रकाश में आया है जीएसटी अधिनियम के तहत जांच कर रहे हैं जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।