एनआरआई के चार हजार डॉलर उड़ाए, यमन में गृहयुद्ध के चलते लौटे थे डॉक्टर

Update: 2023-05-10 09:40 GMT

कानपूर न्यूज़: यमन में गृहयुद्ध के बीच जान बचाकर परिवार सहित देश लौटे एनआरआई एनेस्थिस्ट को टप्पेबाजों ने ठग लिया. झांसा देकर अपनी बीमार बहन की मदद करने बुलाया, फिर जहरीला पदार्थ खिलाकर डॉलर व नगदी भरा बैग ले गए. पुलिस ने एफआईआर तक नहीं लिखी. आर्यनगर के मूल निवासी रवींद्र शाही 1996 से यमन में रहते हैं. उनकी वहां नागरिकता भी है. आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई. रवींद्र यमन से किसी तरह पत्नी सुषमा और बेटे देवराज शाही के साथ फरवरी में भारत लौट आए. वह लखनऊ के इंदिरानगर में रिश्तेदार के यहां रहने लगे.

स्वरूपनगर स्थित निजी अस्पताल के डॉक्टर से संपर्क हो गया. रवींद्र पुराने परिचितों को तलाश आए और मधुराज अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर से संपर्क किया. वह डॉक्टर से मिलने कानपुर आए थे. एक अजनबी ने बीमार बहन के लिए मदद की गुहार की. तरस खाकर रवींद्र ने मोबाइल नंबर अजनबी को दे दिया. रवींद्र नौबस्ता स्थित अस्पताल में नौकरी के सिलसिले में आए. अजनबी के फोन करने पर झकरकटी बस अड्डे मिलने पहुंच गए. उस व्यक्ति ने एक महिला को बहन और दो अन्य लोगों को करीबी बताकर मिलाया. सभी रवींद्र की कार में बैठ गए. कार थोड़े आगे अस्पताल जाने के लिए

बढ़ी तभी उन तीनों ने मिलकर रवींद्र को विषैला पदार्थ खिला दिया: कार की डिग्गी से ले गए तीन बैग बेहोश होने पर टप्पेबाज कार की डिग्गी में रखे तीन बैग लेकर चले गए. उसमें चार हजार डॉलर, एक लाख रुपये कैश था. होश में आने पर रवींद्र ने लखनऊ पहुंच कर परिवार को सूचना दी. लखनऊ से कानपुर आकर रायपुरवा थाने को वारदात की जानकारी दी. रायपुरवा पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और आरोपी के मोबाइल नंबर के आधार पर जांच करने का आश्वासन दिया पर एफआईआर दर्ज नहीं की. रवींद्र का 28 अप्रैल को वीजा खत्म हो गया है. पैसा चले जाने से वह वीजा रिन्यू नहीं करा पाए हैं.

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