गंगा-यमुना की स्वच्छता में मदद करेंगे चार देश

Update: 2023-03-16 14:30 GMT

कानपूर न्यूज़: गंगा, यमुना समेत सभी प्रमुख नदियों की स्वच्छता में चार देश इंग्लैंड, डेनमार्क, नार्वे व हंगरी अब भारत की मदद करेंगे. इन देशों के वैज्ञानिकों की टीम आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर शोध करेगी. विकसित नई तकनीक की मदद से वैज्ञानिक नदियों को स्वच्छ, अविरल व समर्थ बनाएंगे. शोध की अगुवाई आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. विनोद तारे करेंगे.

गंगा को स्वच्छ व अविरल बनाने के लिए आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. विनोद तारे ने सी-गंगा (सेंटर फॉर रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज) की 2016 में स्थापना की थी. उन्होंने गंगा को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए तकनीक व योजना तैयार की. इसे भारत सरकार ने भी नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के माध्यम से हकीकत में उतारा.

प्रो. तारे ने बताया कि सिर्फ गंगा को स्वच्छ करना पूरी तरह मुमकिन नहीं है, जब तक सभी छोटी व प्रमुख नदियों को इसमें शामिल न किया जाए. इसलिए पिछले दो साल से सभी नदियों को स्वच्छ व अविरल बनाने पर काम चल रहा है.

प्रो. तारे के मुताबिक इंग्लैंड, डेनमार्क, नार्वे व हंगरी के अलग-अलग इंस्टीट्यूट के साथ समझौता हो गया है. जल्द वैज्ञानिकों की टीम मिलकर काम शुरू करेगी. यह समझौता भारत सरकार के निर्देश पर हुआ है.

देश इन क्षेत्रों में करेंगे मदद:

● इंग्लैंड नदियों के कचरे को साफ करने के साथ उसे उपयोगमुक्त बनाने में मदद देगा.

● डेनमार्क वैज्ञानिक नदियों से जुड़े इनोवेशन पर काम कर रास्ता निकालेंगे.

● हंगरी नदियों के बेसिन बहाली व संरक्षण पर काम करेगा. नदियों के सहारे उद्योगों को बढ़ावा देगा.

● नार्वे गंगा समेत सभी नदियों में कीचड़ प्रबंधन के ढांचे का विकास करेंगे.

ये मिलेंगे लाभ:

● नदियों का संरक्षण होगा.

● नदियों के संसाधनों के दोहन पर लगाम लगेगा.

● बाढ़ की समस्या कम होगी.

● सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी.

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