चार साल में जंगल बढ़े न घटे, शहर के दो क्षेत्रों में ही बची हरियाली

Update: 2023-03-23 08:57 GMT

कानपूर न्यूज़: प्रदेश में जंगल धीरे-धीरे सिमटते जा रहे हैं. तीन तरह के जंगलों में सबसे ज्यादा असर घने जंगलों पर पड़ा है. मॉडरेट (मध्यम) जंगल भी कम हो रहे हैं. पर ओपन जंगल न घट रहे हैं और न बढ़ रहे हैं. वन विभाग की वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में केवल 15 जनपद ऐसे हैं जहां घने जंगल अब भी हैं. इन पर भी खतरा मंडरा रहा है.

कानपुर नगर में 3155 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में घना जंगल किसी भी हिस्से में अब नहीं है. मध्य श्रेणी का जंगल अभी भी सात वर्ग किमी के क्षेत्र में है. ओपन फॉरेस्ट 59 वर्ग किमी में है. वर्ष 2019 की तुलना में इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं है. शहर के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां स्थिति मंी किसी तरह का कोई विशेष बदलाव नहीं आया है.

प्रदेश में 2627 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में घने जंगल हैं. 15 जिले ऐसे हैं जहां घने जंगल हैं. चित्रकूट, बहराइच, खीरी, गोंडा, महाराजगंज, श्रावस्ती, गोरखपुर, पीलीभीत और सोनभद्र आदि में घने जंगल हैं. शेष जिलों में घने जंगल नहीं हैं. मध्य श्रेणी के जंगल ज्यादातर जिलों में हैं. ओपन जंगल की स्थिति सामान्य है.

कानपुर में केवल दो क्षेत्र ऐसे हैं जहां अभी भी हरियाली बनी हुई है. इसमें एक क्षेत्र कैंट और दूसरा नवाबगंज है. डीजी कॉलेज की वरिष्ठ शिक्षिका डॉ. अर्चना दीक्षित का कहना है कि वृक्षारोपण का प्रभाव दिखना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

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