हरिद्वार के गौरीकुंड और पंचमुखी हनुमान मंदिर को वन विभाग ने भेजा नोटिस, जानिए क्यों

Update: 2023-05-24 13:29 GMT

हरिद्वार। उत्तराखंड में इन दिनों अवैध धार्मिक स्थलों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जारी है। 20 अप्रैल से शुरू अतिक्रमण हटाओ अभियान में अब तक 429 अवैध मजार, 42 मंदिर और 2 गुरुद्वारे हटाए जा चुके हैं। 20 अप्रैल से अब तक 455 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा दिया गया है। साथ ही कुछ मंदिरों पर भी नोटिस चस्पा किया गया है। दरअसल, उत्तराखंड में सरकारी जमीनों से अवैध धार्मिक निमार्णों को हटाने की कार्रवाई जोर शोर से चल रही है। यह कार्रवाई सिर्फ मजारों पर नहीं की जा रही है बल्कि, मंदिरों पर भी कार्रवाई की जा रही है। जो अवैध रूप से सरकारी और वन भूमि पर बनाए गए हैं। इसी कड़ी में हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े के मंदिर गौरीकुंड और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा पर स्थित एक अन्य मंदिर पंचमुखी हनुमान मंदिर को लेकर वन विभाग ने नोटिस भेजा है। जिसमें मंदिर से संबंधित दस्तावेज दिखाने को कहा गया है। अन्यथा मंदिर को अतिक्रमण मान लिया जाएगा। वहीं, वन विभाग से नोटिस मिलने पर संत समाज में खासी नाराजगी देखी जा रही हैं। देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव कण-कण में विराजते हैं। लेकिन कुछ स्थान ऐसे हैं जिनका महत्व और मान्यता दशकों पुराना है। उन्हीं में से एक हरिद्वार के बिल्व पर्वत पर स्थित भगवान बिल्केश्वर धाम का मंदिर है। भगवान शिव का यह मंदिर बेलपत्र के नाम पर रखा गया है। इसी मंदिर से लगा हुआ एक कुंड है, जिसका नाम गौरीकुंड है।

बिल्केश्वर मंदिर की पौराणिक मान्यता:-

हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित बिल्केश्वर मंदिर की मान्यता है कि भगवान शिव को पाने के लिए यहां माता पार्वती ने 3 हजार साल तपस्या की थी। स्कंद पुराण के मुताबिक, मात्र बेलपत्र खाकर माता पार्वती ने भगवान शिव को अपना पति स्वरूप पाने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी। जबकि मंदिर से ही सटे कुंड में स्नान करती थी। इसलिए इस कुंड का नाम गौरीकुंड पड़ा है। आज भी इस कुंड में जल निरंतर रहता है। मान्यता है कि जिस कन्या की शादी में अड़चन आती है, वह कन्या अगर 7 सोमवार इस कुंड में स्नान करे तो समस्या से मुक्ति पा लेती है। कुंड में चर्म रोग से ग्रसित लोग भी मुक्ति पाने के लिए स्नान करने पहुंचते हैं।

बिल्केश्वर मंदिर को लेकर जारी नोटिस में कहा गया है कि मंदिर से संबंधित लोगों के पास कागजात है तो वन विभाग के सामने पेश करें। बिल्केश्वर मंदिर के पुजारी शुभम गिरि का कहना है कि हरिद्वार एक धार्मिक नगरी है। जिसका वर्णन पौराणिक हिंदू धार्मिक पुस्तकों में भी है। हरिद्वार के कई स्थान जिसमें हर की पैड़ी, दक्ष प्रजापति मंदिर, सती कुंड अन्य मंदिर हैं। जिसमें गौरीकुंड मंदिर भी शामिल है। वहीं, गौरीकुंड को लेकर निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने कागज दिखाते हुए कहा कि उक्त संपत्ति से जुड़ा रजिस्ट्री उनके पास है। साल 1912 का नक्शा भी उनके साथ है। जिसमें बिल्केश्वर मंदिर समेत गौरीकुंड का भी नक्शा बना हुआ है।

बिल्केश्वर मंदिर गौरीकुंड निरंजनी अखाड़ा के अधीन आता है। मौजूदा समय में यह मंदिर बलबीर गिरि की देखरेख में चल रहा है। महंत नरेंद्र गिरि की हत्या के बाद बलवीर गिरि को इस स्थान पर बैठाया गया है। फिलहाल हरिद्वार का संत समाज और धार्मिक संगठनों से जुड़े लोग वन विभाग के नोटिस को सरासर गलत बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि विभाग इस तरह की कार्रवाई करके एक तबके को संदेश देना चाहती है, जबकि ऐसे मंदिरों के ना केवल ग्रंथों में बल्कि कागजों में भी प्रमाण मौजूद हैं।

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