मेरठ न्यूज़: गोरक्षक आसिफ भारती को दुस्साहसिक तरीके से 13 गोलियां मारी गईं. इस तरह की वारदात खौफ और आतंक पैदा करने के लिए अंजाम दी जाती है. मेरठ में यह पहला मामला नहीं, जब इस तरह की घटना हुई है. इससे पहले गैंगवार में सुरेंद्र दौरालिया की हत्या की गई थी और हमलावरों ने उन पर कारबाइन खाली कर दी थी. हरीश सिरोही को भी 27 गोलियां मारी गई थी.
मेरठ में गैंगवार और बदला लेने के लिए पहले भी ऐसे हत्याकांड को अंजाम दिया जा चुका है. कई घटनाओं में अत्याधुनिक हथियारों एके-47 और कारबाइन का इस्तेमाल तक किया गया. पिछले कुछ समय में विदेशी और हाईटेक पिस्टलों से वारदातें की गई हैं. बड़ी घटनाओं पर नजर डालें तो 20 मार्च 2006 को हरीश सिरोही पर हमला करते हुए आरोपियों ने सैकड़ों राउंड गोलियां बरसाईं थी. हरीश के शरीर से 27 गोलियां निकाली गई थी, जबकि नौ शरीर को भेदकर पार निकल गई थी.
वहीं, सुरेंद्र दौरालिया पर हमलावरों ने कारबाइन और पिस्टल से हमला किया था. हमले में दर्जनों राउंड गोलियां चलाई गई. सुरेंद्र को दर्जनभर गोली मारी गई. वहीं, गैंगवार के चलते योगेश भदौड़ा के भाई प्रमोद भदौड़ा को गांव के अंदर उधम सिंह ने गोलियों से भून डाला था. प्रमोद को 17 गोलियां मारी गई थी. इसके अलावा पवित्र मैत्रेय पर हमले में पांच गोलियां मारी थी, जबकि दर्जनभर राउंड गोली चली थी. बसपा नेता और जिला पंचायत सदस्य संजय गुर्जर पर सुशील मूंछ और बदन सिंह बद्दो ने हमला कराया था और पांच गोली मारकर कत्ल किया गया था. वहीं, बिजेंद्र प्रमुख पर कातिलाना हमला किया गया था. मुख्तयार अंसारी के शूटर अशोक बिहारी ने बिजेंद्र प्रमुख को पांच गोलियां मारी थी. उनकी जान बच गई थी.