गीता प्रेस में लगेगी देश में बनी पांच करोड़ की मशीन
दुर्गा सप्तशती की पांच लाख प्रतियां छापने की योजना
गोरखपुर: गीता प्रेस से छपने वाली धार्मिक पुस्तकों की मांग बढ़ने के साथ आपूर्ति नहीं हो पाने की वजह से गीता प्रेस प्रबंधन किताबों की बाइंडिंग के लिए अत्याधुनिक मशीन मंगा रहा है. खास बात यह है कि यह मशीन मेड इन इंडिया है. बेंगलुरु से मंगाई जा रही इस पांच करोड़ रुपये मूल्य की यह मशीन आ जाने के बाद पुस्तकों का उत्पादन 20 प्रतिशत बढ़ जाएगा.
गीता प्रेस में मशीन इंस्टॉलेशन से पहले सर्वे के लिए बेंगलुरू से आए विंडवेल कंपनी के टेक्निकल डायरेक्टर सुरेश नायर ने बताया कि 11 टन वजन वाली यह मशीन अत्याधुनिक तकनीक से बनी है. एक घंटे में साढ़े चार हजार पुस्तकों की बाइंडिंग की इसकी क्षमता है. गौरतलब है कि मौजूदा समय में गीता प्रेस में स्थापित मशीन से एक घंटे में 18 सौ पुस्तकों की बाइंडिंग होती है. उन्होंने बताया कि इस इनलाइन वर्क से प्रोडक्शन बढ़ेगा. विंडवेल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर अविनाश ने बताया कि इस बाइंडलाइन मशीन में चार अलग-अलग पार्ट होंगे. पहला हिस्सा गैदरिंग का जो किताबों को क्रमबद्ध करता है. दूसरा परफेक्ट बाइंडर जो पुस्तकों की बाइंडिग करेगा. तीसरा कन्वेयर है और चौथा ट्रीमर जो तीनों तरफ से पुस्तक की कटिंग करता है.
दुर्गा सप्तशती की पांच लाख प्रतियां छापने की योजना
शारदीय नवरात्रि में मांग के मद्देनजर गीताप्रेस से हिंदी और संस्कृत में दुर्गा सप्तशती की डेढ़ लाख प्रतियां छप चुकी है. आर्ट पेपर पर भी दुर्गा सप्तशती प्रकाशित की जाएगी. अक्तूबर से पहले विभिन्न भाषाओं में 50 हजार और दुर्गा सप्तशती की पुस्तक तैयार हो जाएगी. प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि दुर्गा सप्तशती की मांग प्रत्येक केंद्र पर अधिक है. शारदीय नवरात्र से पहले यदि मांग अपेक्षा से भी अधिक बढ़ी तो पांच लाख पुस्तक प्रकाशित की जाएगी.
पुरानी मशीन से केवल बाइंडिंग का ही कार्य होता है. नई मशीन में बाइंडिंग के अलावा तीन और कार्य एक साथ किए जाएंगे. मशीन के लगने से पुस्तकों का उत्पादन बढ़ जाएगा. जो मांग बढ़ी है उसमें यह सहायक होगी. छपाई की अत्याधुनिक मशीन पहले से ही मौजूद है. बाइंडिग कार्य की गति धीमी होने से पुस्तकों के प्रकाशन में देरी होती है.
- लालमणि तिवारी, प्रबंधक, गीता प्रेस