किसानों को रास आ रहा मछली पालन, 3 साल में 12 गुना बढ़े पालक

Update: 2023-07-12 05:35 GMT

गोरखपुर न्यूज़: जिले के किसानों में मछली पालन का क्रेज बढ़ रहा है. रोहू, कतला, नैनी, पंगास, रूपचंदा, ग्रासकार्प, जैसी मछलियों की मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है. इसके कारण मछली पालन मुनाफे का सौदा होता जा रहा है. जिले के मुंडेरी के किसान तो मछली पालन को लेकर सबसे ज्यादा उत्साहित हैं. इस गांव में अब 25 किसान खेती छोड़ मछली पालन कर रहे हैं. इसमें परंपरागत खेती से आठ से 10 गुना तक मुनाफा कमा रहे हैं.

दो तिहाई होता है दाने पर खर्च मत्स्य पालन विभाग के उपनिदेशक बृजेश कुमार ने बताया कि मछली पालन में सबसे ज्यादा खर्च दाने पर ही होता है. करीब दो तिहाई लागत मछलियों को दाना खिलाने में खप जाती है. तीन से पांच महीने में मछलियां तैयार हो जाती हैं.

किसानों की जेब भर रही पंगास उप निदेशक ने बताया कि किसानों में सबसे अधिक मांग पंगास मछली की है. यह मछली सबसे ज्यादा मुनाफा भी देती है. यह तीन से पांच महीने में तैयार हो जाती है. एक किलोग्राम की मछली को तैयार होने में 70 से 80 रुपए खर्च होते हैं. जबकि किसान आसानी से मछली को 120 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच लेते हैं.

8000 किसानों ने किया था आवेदन

उपनिदेशक ने बृजेश कुमार ने बताया कि मंडल में मछली पालन का क्रेज बढ़ा है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत पिछले वित्तीय वर्ष में मंडल में 8000 से अधिक आवेदन आए. इनमें से विभाग ने ढाई हजार किसानों के आवेदनों को चयन कर अनुदान दिया. जिसमें से एक हजार आवेदन से गोरखपुर के चयनित हुए थे. इस बार इस संख्या में और बढ़ोतरी होगी. इसके लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि बीते तीन साल में मछली पालन में जबरदस्त क्रेज बढ़ा है. वर्ष 2020-21 में जिले में महज 80 मछली पालक ही थे. जबकि 2022-23 में इनकी अधिकृत संख्या एक हजार हो गई है.

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