बाराबंकी में किसान मशरूम की खेती से कमा रहे हैं अच्छा मुनाफा

Update: 2023-08-26 17:33 GMT
उत्तरप्रदेश: बाराबंकी में कई किसान परंपरागत खेती कर रहे हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो परंपरागत खेती को छोड़ कर आधुनिक खेती अपनाकर लाखों रुपये कमा रहे हैं. भारत में अब मशरूम की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. पहले ये शहरी लोगों तक सीमित था, लेकिन अब ये मशरूम गांवों तक भी पहुंच गया है. बाराबंकी जिले के किसान मशरूम की खेती के जरिए अच्छी कमाई कर रहें हैं. यही नहीं, लोगों को रोजगार देने के साथ ही दूसरे किसानों के लिए मिसाल बने हुए हैं.
बाराबंकी जिले के मरखापुर गांव में मशरूम की खेती करने वाले किसान मनोज ने बताया कि पहले हम धान गेहू की खेती करते थे. जिसमें हमें कोई अच्छा लाभ नहीं मिल पाता था जिससे हम काफी परेशान रहते थे. इसके बाद हमे मशरूम की खेती के बारे में जानकारी हुई फिर हमने 25 हजार रुपये की लागत लगाकर मशरूम की खेती की इसमें हमे अच्छा लाभ मिला. आज हम दो लाख की लागत लगाकर मशरूम की खेती कर रहे हैं. जिसमे हमें 7 से 8 लाख रुपये मुनाफा हो रहा है.
मनोज अपने खेत में छप्पर से कई बंगले तैयार किये हैं और उसके अंदर मशरूम की खेती कर रहे हैं. बंगले के अंदर बांस बल्लियों के सहारे मशरूम उगाने के लिए बेड बनाए गए हैं. आलम यह है कि एक समय में अपने गांव में केवल मनोज ही मशरूम की खेती कर रहे थे, लेकिन अब उनकी देखा-देखी गांव में करीब 75 लोग मशरूम की खेती कर रहे हैं.
मशरूम की बाजारों में है काफी मांग
किसान मनोज का कहना है कि मशरूम की खेती में पेपर गेहूं के भूसे और गोबर की खाद की खपत ज्यादा होती है. एक बंगले के अंदर मशरूम बोने के लिए भूसा, रासायनिक खाद और ऑर्गेनिक खाद मिलाकर उसे करीब एक महीने सड़ाया जाता है. उसके बाद इसमें मशरूम के बीज बोये जाते हैं. उन पर पेपर बिछाया जाता है मशरूम बोने के एक महीने के बाद से ही वह निकलने लगते है और प्रति दिन एक क्विंटल तक मशरूम निकलने का औसत है. यह मशरूम 80 रुपये प्रति किलो से लेकर 120 रुपये प्रति किलो तक बिक जाती है.
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