इलाहाबाद न्यूज़: किसी मरीज को एक भी टेबलेट बाहर ने नहीं खरीदनी होगी.’ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की बात बहुत सुखद लगती है लेकिन अस्पताल में भर्ती मरीजों को दवा की बात दूर सीरिंज, रूई, पट्टी तक बाहर से खरीदनी पड़ती है. बाहर से दवा खरीदने में कई मरीजों के खेत और जेवर तक बिक गए. तीमारदारों का कहना है सरकारी अस्पताल समझ कर आया था लेकिन यहां तो प्राइवेट अस्पताल की तरह इलाज के लिए पैसे खर्च हो रहे हैं.
एसआरएन अस्पताल के वार्ड नंबर दो में कोरांव के 25 वर्षीय राहुल भर्ती हैं. उनका बाइक दुर्घटना में पैर टूट गया है. दुर्घटना में उनके भतीजे की मौत हो गई थी. राहुल के पिता राम विशाल ने बताया कि सभी दवाइयां बाहर खरीदनी पड़ रही हैं. ऑपरेशन करके पैर में रॉड डलवाने के लिए 20 हजार रुपये खर्च होंगे. राम विशाल ने कहा, खेत बेचकर बेटे का इलाज करा रहा हूं.
बमरौली के उदित नारायण त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल में 70 हजार की दवा बाहर से खरीद चुका हूं. उदित को पड़ोसियों ने मारपीट कर हाथ-पैर तोड़ दिया है. उदित की देखरेख कर रहे अभिषेक ने बताया कि मां के जेवर बेच कर इलाज करवा रहा हूं. ऑपरेशन के समय 25 हजार खर्च हुए थे. बारा के शिव नारायण के बेटे का दुर्घटना से पैर टूट गया है. उन्होंने बताया है कि दवा की बात तो दूर रूई पट्टी, सीरिंज तक बाहर से खरीदना पड़ रहा है. पैर में रॉड की कीमत आठ, 12 और 20 हजार बताया गया है, जो ऑपरेशन के समय पैर में डाला जाएगा. शिव नारायण ने बताया कि जमीन को गिरवी रखकर पैसे का इंतजाम करना पड़ा.
अस्पताल में मरीजों को बाहर से दवाई नहीं लेनी पड़ती है. यदि किसी मरीज को इलाज के लिए बाहर से दवा खरीदी है तो इस बारे में पता करूंगा. अस्पताल में सभी दवाइयां नि शुल्क उपलब्ध हैं.
-डॉ. एसपी सिंह
प्राचार्य मेडिकल कॉलेज