Faizabad: सुरक्षा उपायों के लिए एलएंडटी को गोल्डन ट्राफी प्रदान किया गया
"यह पुरस्कार ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल की ओर से दिया गया"
फैजाबाद: श्री राम मंदिर परियोजना को सुरक्षा प्रबंधन के लिए प्रतिष्ठित ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ पुरस्कार प्रदान किया गया है. यह पुरस्कार ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल की ओर से दिया गया है. इसके लिए निर्माण एजेंसी एलएण्डटी को गोल्डन ट्राफी भी प्रदान की गयी है. श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डा अनिल मिश्र ने इस पुरस्कार पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार सुरक्षा प्रबंधन के उच्चतम मानकों का पालन करने के लिए दिया गया है. उन्होंने बताया कि टाटा कंसल्टेंसी व भवन निर्माण समिति के नियमित पर्यवेक्षण में पांच सालों से चल रहे निर्माण के दौरान किसी तरह की दुर्घटना नहीं हुई और न ही कोई जन हानि हुई. उन्होंने बताया कि ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल की ओर से वैश्विक निर्माण परियोजनाओं की निगरानी स्वयं की जाती है. इसके लिए कोई आवेदन करने की जरूरत नहीं रहती है. उन्होंने बताया कि संस्था के अधिकारी समय-समय पर आकर निर्माण का जायजा लेते रहे और उन्होंने इस निर्माण को पांच सितारा मूल्यांकन की श्रेणी प्रदान की और फिर उसी लिहाज से पुरस्कृत किया. उन्होंने बताया कि सम्बन्धित पुरस्कार पांच सितारा रेटिंग की श्रेणी के ही निर्माण को प्रदान किया जाता है.
मंदिर में कुल पाँच मंडप हैं: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप. मंदिर के पास एक ऐतिहासिक कुआँ (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का है. मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, कुबेर टीला पर, भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है, साथ ही जटायु की मूर्ति की स्थापना की गई है. मंदिर की नींव रोलर कॉम्पैक्टेड कंक्रीट की 14 मीटर मोटी परत से बनाई गई, जिससे यह कृत्रिम चट्टान जैसा दिखता है. मंदिर में कहीं भी लोहे का उपयोग नहीं किया गया है.
राम मंदिर में कहीं भी नहीं हुआ लोहे का प्रयोग: भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है. इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट है, इसकी चौड़ाई 250 फीट है, और इसकी ऊंचाई 161 फीट है, और यह कुल 392 स्तंभों और 44 दरवाजों द्वारा समर्थित है. भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बाल रूप (श्री रामलला की मूर्ति) को स्थापित किया गया है. मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में स्थित है, जहाँ सिंह द्वार से 32 सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है.