संगम में फिकल कोलिफॉर्म कई गुना अधिक मिला: गंगाजल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
इलाहाबाद न्यूज़: संगम का जल आचमन योग्य नहीं है. प्रचंड गर्मी में भी संगम में फिकल कोलिफॉर्म की मात्रा 680 एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) प्रति 100 मिली लीटर हो गई है. नौ मई को आई उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. खास बात यह है कि यह स्थिति तब है जबकि पिछले एक सप्ताह से शहर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक है. तापमान अधिक होने पर फिकल कोलिफॉर्म की मात्रा घट जाती है. यही वजह है कि संगम में फिकल कोलिफॉर्म अधिक होना चिंता का कारण बना हुआ है.
जानकार कहते हैं कि भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के ताजा सर्वे के अनुसार संगम में पर्याप्त जल है. तापमान भी अधिक है तो फिकल कोलिफॉर्म की मात्रा कम होनी चाहिए. इतने अधिक तापमान में फिकल कोलिफॉर्म के बैक्टीरिया मर जाते हैं. यूं तो नदियों के जल में टोटल कोलिफॉर्म 2400 एमपीएन तक होता है पर फिकल कोलिफॉर्म की मात्रा 100 से कम होनी चाहिए. तभी यह आचमन योग्य होता है जबकि पीने योग्य होने के लिए फिकल कोलिफॉर्म शून्य होना चाहिए.
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अधिकारी व गंगा के विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद सिकंदर ने बताया कि प्रचंड गर्मी में फिकल कोलिफॉर्म 680 होने का मतलब संगम का जल ग्रहण करने योग्य नहीं है. नालों के जरिए गंदा पानी गंगा-यमुना में मिलने के कारण फिकल कोलिफॉर्म की मात्रा बढ़ने की
संभावना है. उत्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनिल सिंह ने कहा कि गंगा-यमुना में गिरने वाले नाले या सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों में पानी शोधन ठीक से नहीं होने पर ऐसे मौसम में फिकल कोलिफॉर्म बढ़ता है.
नियंत्रण में बीओडी और डीओ ने दी है राहत संगम में फिकल कोलिफॉर्म का अधिक मिलना चिंता का विषय है, लेकिन बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) और डीओ (डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन) नियंत्रण में होने से संगम का जल स्नान के लिए सुरक्षित है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में संगम का बीओडी तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से कम और डीओ आठ मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है.
यह जल स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक
● पेट में दर्द, पाचन शक्ति पर प्रभाव, उल्टी, बुखार
● जांच में कहां क्या मिला
घाट टोटल कोलिफॉर्म फिकल कोलिफॉर्म
फतेहपुर घाट 1700 680
शास्त्रत्त्ी ब्रिज 2200 780
संगम 2100 680
छतनाग 2400 680
सरस्वती घाट 1100 200
(पीने के लिए फिकल कोलिफॉर्म शून्य और आचमन के लिए 100 से कम होना चाहिए)
नालों के पानी का गुणवत्तापूर्ण शोधन न होने पर कोर्ट ने लगाई थी फटकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी शहर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों में नालों के पानी के शोधन पर कार्यदायी एजेंसियों को फटकार लगाई थी. हाईकोट के आदेश पर जांच में पता चला था कि क्षमता से अधिक प्लांटों में नालों का पानी जाने से शोधन की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. आज भी प्लांटों में क्षमता से अधिक नालों का पानी प्लांटों में जा रहा है.