आंख, दिमाग क्षतिग्रस्त कर रही कान की बीमारी, 3 से 4 प्रतिशत को स्वाद

Update: 2023-03-08 13:10 GMT

आगरा न्यूज़: कान या नाक की बीमारियों को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है. छोटी बीमारियां बाद में घाव बना देती हैं. इनसे संक्रमण ऊपर की ओर फैलता है. ऐसा होने पर संक्रमण आंख और दिमाग को संक्रमित कर देता है. कोविड के बाद ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

होटल क्लार्क शीराज में यूपी एसोसिएशन आफ ओरिनोलैरिंगोलाजिस्ट की यूपीएओआईकान-23 के दूसरे दिन को एसोसिएशन के यूपी चैप्टर के निर्वाचित अध्यक्ष और झांसी मेडिकल कालेज में ईएनटी विभागाध्यक्ष डा. जितेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि कान की अधिकतर बीमारियां बिगड़ने पर आंख और दिमाग को बुरी तरह संक्रमित कर रही हैं. गले की कुछ बीमारियों के साथ भी यही है. हियरिंग लास (सुनने में दिक्कत) के सबसे ज्यादा मरीज आ रहे है. लापरवाही के बाद ऐसे 15 से 20 प्रतिशत मरीजों के आंख और दिमाग को नुकसान पहुंचता है.

स्वाद न जान पाना, गंध महसूस न होना कोविड के लक्षण थे. कोविड से संक्रमित हुए मरीज अभी तक लौट रहे हैं. तीन से चार प्रतिशत को यह समस्या बनी हुई है. यह समय-समय पर घट या बढ़ रही है.कोविड का आफ्टर इफैक्ट कहा जा सकता है.

दिमाग के नीचे (स्कल बेस) में संक्रमण

कान में मवाद, कान की हड्डी गलने जैसी तमाम बीमारियों से संक्रमण दिमाग के नीचे वाले स्थान स्कल बेस में पहुंच जाता है. इसकी तत्काल सर्जरी करनी पड़ती है. इसलिए ईएनटी सर्जन नाक के रास्ते का सहारा लेते हैं. दूरबीन विधि से सर्जरी होती है.

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