रिपोर्ट- सुरेश कुमार
रामपुर, उत्तर प्रदेश: हमारे देश में कानून का राज है और कानून तोड़ने वाले इंसानों को जेल की सजा का प्रावधान है। जेल की चारदीवारी मे रहने वाले अपराधियों की जिंदगी कैसी होती है यह तो वही जानता है जो कानून तोड़ने की सजा के तौर पर यहां पर मौजूद सलाखों के पीछे अपने दिन, महीने और साल बिताता है। इन सबके बीच जेल में कैदियों और बंदियों को सुधारने की हर कवायद जारी रहती है। ताकि वह यहां से रिहा होकर अपनी बची कुची जिंदगी को बेहतर ढंग से जी सकें। कैदियों की जिंदगी को बेहतर बनाने के प्रयास को लेकर कुछ इसी तरह के सुधार के कार्य रामपुर की जिला जेल के अधीक्षक प्रशांत मौर्य की अगुवाई में जारी हैं। लेकिन इन सब के बीच अब कैदियों को विदेशी भाषा यानी फ्रेंच लैंग्वेज का ज्ञान देने की कवायद भी शुरू कर दी गई है।
क्या है पूरा मामला.....
उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर की जिला जेल इन दिनों अपनी बेहतर कार्यशैली एवं जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य की दूरगामी सोच के चलते सुर्खियां बटोरने में काफी अहम भूमिका अदा कर रही है। पिछले दिनों यहां पर एलईडी बल्ब, इनवर्टर, स्टेबलाइजर, जरी जरदोजी, हैंडबैग के साथ-साथ जैविक खाद बनाने का हुनर कैदियों को सिखाया गया, जो आज भी जारी है। प्रधानमंत्री कौशल विकास कार्यक्रम की असली तस्वीरे यहां की जेल में चरितार्थ होते हुए आज भी देखी जा सकती है। अब इसी बेहतर कार्य शैली में एक और मील का पत्थर लगने जा रहा है यानी जेल के कैदियों और बंदियों को गणित, अंग्रेजी विषय के साथ ही फ्रेंच भाषा का पूर्ण ज्ञान देने की भी शुरू हो चुकी है।
ब्रिटिश साम्राज्य की तरह ही फ्रांस ने भी अपने दौर में कई देशों पर उसी नीति के तहत राज किया है। यही कारण है कि जिस तरह से ब्रिटिश अंग्रेजी का कई देशों मे इस्तेमाल किया जाता है। ठीक उसी तरह फ्रेंच भाषा का भी बहुत से देशों में जिनमें कनाडा, बेल्जियम, स्वीटजरलैंड, मोनाको, लक्जमबर्ग आदि में बोल चाल और पढ़ने लिखने का चलन जारी है। कुल मिलाकर जीविका के क्षेत्र में इस भाषा के जानकार को इन देशों में या फिर हमारे भारत में ट्रांसलेटर के तौर पर अच्छा अवसर मिल सकता है ।
इसी के मद्देनजर जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य ने शिक्षा की अनूठी पहल के तहत यह इतिहास रच डाला है। अधीक्षक प्रशांत मौर्य की अगुवाई में गोवा राज्य की रहने वाली फ्रेंच भाषा की जानकार कबीनी अज्ञार फर्नाडीज को जिला जेल में मौजूद खूंखार कैदियों को फ्रेंच पढ़ाने और लिखाने की जिम्मेदारी दी है । जेल अधीक्षक की इस अनूठी पहल को अमलीजामा पहनाने में जहां कबीनी अज्ञार फर्नाडीज का अहम किरदार अदा किया है तो वही उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति ने भी कामयाबी की इन सीढ़ियों पर उनके चढ़ने में कंधे से कंधा मिलाते हुए जबरदस्त कदमताल किया है।
इंजीनियर से जेल अधीक्षक बने प्रशांत मौर्य के इस कामयाबी भरे कदम की तारीफो के हर तरफ कसीदे पढ़े जा रहे हैं । हालांकि यह बात अलग है कि प्रशांत मौर्य अपनी इस कामयाबी का श्रेय जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति के साथ ही अपने विभाग के मुखिया डीजी जेल आनंद कुमार को देना नहीं भूल रहे हैं।