कानपुर न्यूज़: कानपुर कमिश्नरेट में लूट की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पुलिस इस पर अंकुश लगा पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। आए दिन हो रही लूट की घटनाओं से लोग दहशत में हैं। बदमाश लुटेरों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई न होने से उनके हौंसले बुलंद हैं।
जिसके चलते बेखौफ होकर आए दिन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। पिछले दो माह में शहर के अलग-अलग थानाक्षेत्रों में हुई दर्जनों लूट की ताबड़तोड़ घटनाओं में से एक का भी खुलासा नहीं हो सका है। हर बार पुलिस बचाव के लिए जांच की बात कहकर रटा रटाया बयान दे देती है, लेकिन अपराधियों की गिरफ्तारी में शिकंजा नहीं कस पाती है। लूट के शिकार पीड़ित कई दिनों तक न्याय के लिए रोजाना थानों की चौखट में पहुंचकर चक्कर लगाते हैं, लेकिन कार्रवाई न होने के चलते वह थक हारके बैठ जाते हैं, जिससे पुलिस का काम और आसान हो जाता है। इस कारण समय बीतने के साथ लूट के मामले ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। शहर में हुई ये लूटें उदाहरण के तौर पर केवल एक बानगी है, बाकी पुलिस दर्जनों घटनाओं का खुलासा कर पाने में फिसड्डी साबित हो रही है।
हाल ही में हुई लूटों पर नजर डालिए:
चकेरी के बंगाली कालोनी निवासी एमईएस में कार्यरत सीनियर ऑडिटर प्रेमलता के गले से बाइक सवार बदमाशों ने डेढ़ लाख रुपये की चेन लूट ली थी।
किदवई नगर वाई ब्लॉक निवासी एचडीएफसी बैंक के मैनेजर प्रेम दीक्षित को बदमाशों ने लूटने के बाद चलते ऑटो से फेंक दिया था।
चकेरी के गांधी ग्राम निवासी प्राइवेट कर्मी मुनींद्र नाथ ठाकुर के गले से झपट्टा मारकर बदमाशों ने चेन लूट ली थी।
नजीराबाद थानाक्षेत्र अंतर्गत कमला नगर निवासिनी दुर्गा पत्नी उमाशंकर बेटे रुद्र को साथ लेकर दवा लेने गई थीं। पैदल लौटते समय बाइक सवार बदमाशों ने पर्स लूट लिया था।
बिधनू थानाक्षेत्र अंतर्गत राजकपूर वर्मा से नकाबपोश बदमाशों ने गले में चाकू लगाकर पांच हजार रुपये और दोनों मोबाइल लूट लिए थे।
चकेरी के मंगल विहार प्रथम निवासी अमित कुमार से बाइक सवार लुटेरों ने मोबाइल लूट।
शास्त्री चौक पर चकेरी के केडीए निवासी उर्मिला गौतम से पल्सर सवार बदमाशों ने मंगलसूत्र लूटा।
सब्जी व्यापारी कुम्हुपुर निवासी हरीकिशन साहू से बदमाशों ने घायल कर नकदी व मोबाइल लूट की घटना को अंजाम दिया।
सूचना तंत्र फेल, पीड़ित रहे झेल
पुलिस कई घटनाओं के खुलासा में अपने सूचना तंत्र से फेल हो रही है। जिसका खामियाजा पीड़ितों को उठाना पड़ रहा है। पहले के समय शहर के थानों में पुलिस के तेजतर्रार सिपाही तैनात होते थे, लेकिन उनके स्थानंतरण के बाद अब उनकी जगह नए रंगरूटों ने ले ली है। इन नए सिपाहियों को शहर की भौगोलिक स्थिति की ठीक तरह से जानकारी ही नहीं है। जिसका फायदा सीधा अपराधियों को मिल रहा है।