बढ़ती उम्र में हल्के में न लें प्रोस्टेट की दिक्कत

Update: 2023-09-13 13:47 GMT
उत्तरप्रदेश | यूरोलॉजी सोसायटी ऑफ प्रयागराज की ओर से एसआरएन अस्पताल में कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में देश के कई वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट शामिल हुए. अस्पताल के पीएमएसएसवाई बिल्डिंग में आयोजित कार्यशाला में नौ मरीजों के पौरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट ग्लैंड) का अत्याधुनिक विधि से ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन का लाइव प्रसारण भी हुआ.
दिल्ली से आए डॉक्टर अंशुमान अग्रवाल ने बताया कि 80 साल की उम्र में प्रोस्टेट कैंसर सामान्य बात है. अगर 50-60 वर्ष की उम्र में इसकी शिकायत मिलती है तो मरीज को गंभीरता से लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर का इलाज रोबोटिक सर्जरी से ही संभव है. यह सुविधा अभी तक दिल्ली के साथ चंद बड़े महानगरों में उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को यूरिन पास करने में दिक्कत आती हैं तो वह मात्र 200 रुपये के खर्च में ब्लड जांच से बीमारी का पता समय रहते लगा सकता है. लखनऊ से आए डॉ. जैन इकबाल तंबोली ने कहा कि प्रोस्टेट के मरीजों का अत्याधुनिक उपकरणों से इलाज आसान हुआ है. डॉ. दिनेश राहड़ के अनुसार प्रोस्टेट की कई बीमारियों में ओपेन ऑपरेशन काफी कारगर रहता है, लेकिन यह इलाज बीमारी के आकार के अनुसार ही तय होता है. मौजूदा समय में प्रोस्टेट के ऑपरेशन में सबसे बेहतर तरीका दूरबीन विधि है. इस अवसर पर संगठन अध्यक्ष डॉ. दिलीप चौरसिया, आगरा से आए डॉ. मधुसूदन अग्रवाल, वाराणसी के डॉ. श्वेतांक मिश्रा, डॉ. पुनीत आदि ने व्याख्यान दिए.
प्रोस्टाकॉन 2023 विषयक कार्यशाला में डॉ. दिलीप चौरसिया ने अत्याधुनिक लेजर सर्जरी में अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया. अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से मरीजों को ऑपरेशन के बाद का दर्द कम हो जाता है, अस्पताल में कम समय रहना पड़ता है और रिकवरी की अवधि भी कम हो जाती है. डॉ. आरसी गुप्ता और डॉ. एमएस अग्रवाल ने मरीजों की एंडोस्कोपिक सर्जरी की. कानपुर के प्रमुख सर्जन डॉ. अनिल जैन ने पारंपरिक ओपन सर्जिकल तकनीक प्रस्तुत की. कार्यशाला में डॉ. शिरीष मिश्रा वैज्ञानिक सचिव और डॉ अभय कुमार आयोजन सचिव के तौर पर मौजूद रहे.
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