नवाब खानदान के बीच संपत्ति का बंटवारा, 18 वारिसों के बीच बांटी

देश के बड़े नवाब परिवारों में शुमार यूपी के रामपुर के नवाब परिवार की संपत्ति का विवाद बंटवारा हो गया है

Update: 2021-12-09 17:09 GMT
देश के बड़े नवाब परिवारों में शुमार यूपी (Uttar Pradesh) के रामपुर के नवाब (Rampur Nawab) परिवार की संपत्ति का विवाद बंटवारा हो गया है. 49 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद रामपुर की एक कोर्ट ने नवाब खानदान के बीच 2600 करोड़ रुपये की संपत्ति का फैसला सुना दिया है. 18 पक्षकारों के बीच शरीयत के मुताबिक 2600 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति का बंटवारा किया गया है. इसमें चार बड़ी चल संपत्तियों के अलावा कई अचल संपत्तियां भी शामिल हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर बंटवारा किया गया है.
खबर के मुताबिक नवाब की संपत्ति में पहले 18 दावेदार थे. लेकिन लंबी कानूनी लड़ाई के दौरान दो लोगों की मौत हो गई. इन दोनों मृतकों का कोई वारिस नहीं है. जिसके बाद अब संपत्ति 16 लोगों में बीच बांटी जाएगी. जानकारी के मुताबिक नवाब परिवार की संपत्तियों (Nawab Family Property) में कोठी खासबाग, बेनजीर बाग, नवाब रेलवे स्टेशन, सरकारी कुंडा और शाहबाद के लक्खी बाग शामिल है. इसके साथ ही गहने और हथियार जैसी कीमती वस्तुएं शामिल हैं.
नवाब खानदान के बीच संपत्ति का बंटवारा
नवाब के खानदान में संपत्ति के बंटवारे का विवाद 1974 से चल रहा था. नवाब रजा अली खान की मौत के बाद उनके बड़े बेटे नवाब मुर्तजा अली खान ने इस संपत्ति पर कब्जा कर लिया था. जिसके बाद रजा अली खान के छोटे बेटे मिक्की मियां और दूसरे बेटे-बेटियों ने इस मामले में कोर्ट में मुकदमा दायर किया था. सभी ने दावा किया था कि संपत्ति का बंटवारा शरीयत के हिसाब से होना चाहिए. वहीं मुर्तजा अली खान की ओर से दलील दी गई थी कि राजपरिवार के कानून के मुताबिक राजा का सबसे बड़ा बेटा संपत्ति का मालिक होता है. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. कोर्ट के आदेश से जिला जज कोर्ट में मूल्यांकन और वितरण की प्रक्रिया पर मुहर लगा दी गई थी.
2600 करोड़ रुपये की संपत्ति का बंटवारा
ब्रिटिश शासन के समय पर रामपुर एक रियासत थी. इसे 1774 ईस्वी में नवाब फैज उल्ला खान ने बरेली के आंवला से आकर बसाया था. जब तक देश में रियासतों का विलय नहीं हुआ तब तक यहां पर 10 नवाबों ने राज किया था. आजादी के बाद रामपुर के अंतिम नवाब रजा खान के बेटे नवाब मुराद अली को इस रियासत का युवराज घोषित किया गया था.आजादी के बाद भारत में विलय होने वाली यह पहली रियासत थी. नवाब परिवार के 18 वारिसों ने इस संपत्ति पर अपना दावा ठोकते हुए कोर्ट का रुख किया था. 49 साल से चल रही यह लड़ाई अब खत्म हो गई है.
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