मेरठ: एनजीटी के सख्त आदेश है कि ग्रीन वर्ज पूरी तरह से खाली रखा जाए। यहां मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) की तरफ से एनजीटी में जो हलफनामा लगाया गया है, उसमें एनजीटी को भी गुमराह कर दिया गया। ग्रीन वर्ज में अवैध निर्माण एक भी नहीं होने का दावा कर दिया गया, जो कोरा झूठ हैं। ऐसा तब है जब एमडीए उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय खुद आदेश दे चुके है कि ग्रीन वर्ज में एक भी अवैध निर्माण नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां पर तमाम ओयो होटल व ढाबे बनकर तैयार हो गए हैं।
ग्रीन वर्ज के मुद्दे को सपा विधायक अतुल प्रधान ने भी विधानसभा में उठाया हैं, जिसमें कहा है कि एनएच-58 पर तमाम अवैध ओयो होटल ग्रीन वर्ज में बना दिये गए हैं, अवैध निर्माणकर्ताओं को एमडीए इंजीनियरों का संरक्षण मिल रहा हैं, जिसके चलते निर्माण हुए हैं। एनएच-58 और गढ़ रोड पर ग्रीन वर्ज के मुद्दे विधानसभा में उठाये गए, जिसके बाद मेरठ विकास प्राधिकरण से जवाब मांगा गया।
बुधवार को एमडीए की तरफ से ग्रीन वर्ज में अवैध निर्माण के सवाल पर जवाब बनाकर भेजा गया। एमडीए के भेजे गए जवाब में कहा है कि ग्रीन वर्ज में जो निर्माण है, उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज कराई गयी। सभी निर्माण पर सील लगाई गयी, फिर निर्माण कैसे होने दिया। इसमें ध्वस्तीकरण की कोई कार्रवाई एमडीए की तरफ से क्यों नहीं की? इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
एक तरह से एमडीए ने इसमें गोल-मोल जवाब तो दे दिया, लेकिन एनजीटी में डा. अजय कुमार ने जो याचिका दायर की हैं, उसमें ग्रीन वर्ज में तमाम अवैध निर्माणों का मुद्दा उठाया गया हैं। आखिर एनजीटी के आदेश के बावजूद एमडीए के इंजीनियर कैसे अवैध निर्माण करा रहे हैं। क्या एनजीटी की तरफ से इंजीनियरों पर क्या शिकंजा कसा जाएगा?