अखंड प्रताप सिंह, गाजियाबाद: अभी तक वायु प्रदूषण से परेशान गाजियाबाद के लोगों के लिए अब पानी (Ghaziabad dirty ground water) भी चिंता का विषय बन गया है। जिले में भूजल लगातार प्रदूषित हो रहा है और लोगों को बीमार कर रहा है। दिल्ली के एनजीओ उत्थान समिति ने गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और गुड़गांव में भूजल प्रदूषण की स्थिति जानने के लिए एक सर्वेक्षण किया। उनकी इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार की नेशनल टेस्ट लैब ने भी मान्यता दी है। इस रिपोर्ट में शहर के भूजल की क्वॉलिटी परेशान करने वाली है और यह लोगों को कई तरह की बीमारियां देने वाली है।
केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट
एक्सपर्ट का कहना है कि पानी में 6 तत्व (मैग्नीशियम, क्लोराइड, सल्फेट, टीडीएस, पानी की कठोरता और टोटल कोलिफॉर्म) काफी महत्वपूर्ण होते हैं और इनका मानक से अधिक होना स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक साबित होता है। गाजियाबाद के अधिकतर इलाकों में ये 6 तत्व मानक से अधिक मिले हैं। एनजीओ के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात कर यह रिपोर्ट सौंपी है। उत्थान समिति के अध्यक्ष सतेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर में गाजियाबाद, जीबी नगर, गुड़गांव और दिल्ली के विभिन्न स्थानों से भूजल के नमूने एकत्र किए थे और इन सैंपल को गाजियाबाद के कमला नेहरू नगर स्थित राष्ट्रीय परीक्षण गृह प्रयोगशाला में प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए भेजे गए थे। उन्होंने बताया कि सभी शहरों के पानी के नमूनों का विश्लेषण करने के बाद हमने पाया कि कम से कम छह मापदंडों पर पानी बहुत खतरनाक स्थिति में है। नेशनल टेस्ट हाउस के वैज्ञानिकों ने बताया कि टोटल कोलिफॉर्म और टीडीएस के मामले में स्थिति सबसे बुरी है।
जिले में मानक से अधिक रहा टीडीएस
रिपोर्ट के अनुसार गाजियाबाद में दस जगह से भूजल के सैंपल लिए गए। इसमें सात जगह पर टोटल कोलिफॉर्म मिला, जबकि सात जगह पर टीडीएस भी लिमिट से अधिक पाया गया। खोड़ा, अवंतिका और राजापुर में टीडीएस का स्तर तय सीमा के अंदर ही रहा। जबकि वसुंधरा, अवंतिका और राजापुर में टोटल कोलिफॉर्म नहीं मिला। सभी दस स्थानों के भूजल में हार्डनेस पाई गई। टीडीएस की बात करें तो कौशांबी में यह 1852 मिलीग्राम, साहिबाबाद में 1497 मिलीग्राम, इंदिरापुरम में 1008 मिलीग्राम मिला, जबकि इसका मानक 500 मिलीग्राम है। इसी तरह कौशांबी और साहिबाबाद में क्लोराइड अधिक पाया गया, जो क्रमश: 485.66 मिलीग्राम प्रतिलीटर और 460.85 मिलीग्राम प्रतिलीटर था, जबकि इसका मानक 250 मिलीग्राम प्रतिलीटर है।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर मनीष का कहना है कि पीने के पानी में कुल कोलिफॉर्म की उपस्थिति होने से पता चलता है कि इसमें सीवर या नाली का पानी मिल रहा है। कोलिफॉर्म बैक्टीरिया टाइफाइड और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से होने वाली बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है। जबकि दूसरे डॉक्टरों का कहना है कि यदि पीने वाले पानी में टीडीएस अधिक है और उसका नियमित रूप से सेवन किया जा रहा है तो धीरे-धीरे यह किडनी और लीवर को प्रभावित करने लगता है। जबकि सल्फेट और क्लोराइड गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुड़ी बीमारियों का का कारण बनता है।
जिले में रोज निकलता है 25 करोड़ लीटर भूजल
गाजियाबाद भूजल के मामले में डार्क जोन में शामिल है। यहां भूजल का दोहन खूब होता है। बीते 10 साल में नगर निगम सीमा क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा निजी सबमर्सिबल लगे हैं। इसी का असर है कि हर साल शहर में भूजल का स्तर औसतन तीन मीटर (10 फुट) नीचे खिसक रहा है। हर रोज 25 करोड लीटर पानी भूजल से निकाला जा रहा है। शहर के कुछ ही एरिया में गंगाजल की सप्लाई है। जहां गंगाजल की सप्लाई है वहां पर भी लोग भूजल का दोहन कर रहे हैं। जिले में 500 से अधिक आवासीय सोसायटीज हैं, जिनमें लाखों लोग रहते हैं। सभी सोसायटीज में सबमर्सिबल लगे हुए हैं। इंदिरापुरम कौशांबी, वसुंधरा, वैशाली, डेल्टा कालोनी में गंगाजल की आपूर्ति होती है। वहीं, गाजियाबाद और मोहन नगर जोन में नलकूप से भी गंगाजल की आपूर्ति की जाती है। इसके बावजूद भी सबमर्सिबल से भूजल निकाला जाता है। 300 से अधिक अवैध कॉलोनी में भूजल से ही पानी मिलता है। ऐसे में दूषित भूजल की चपेट में शहर की बड़ी आबादी आ रही है।