खरखौदा: उत्तर प्रदेश में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा के चलते जहां अध्यक्षों, बोर्ड का कार्यकाल पूर्ण हो जाने पर शासन द्वारा बोर्ड भंग कर दिए गए है। बोर्ड भंग के साथ ही जिले की कई नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारीयों का प्रमोशन होने से पद खाली हो गए हैं। जिससे जनपद की आधा दर्जन से अधिक नगर पंचायतों में विकास कार्य करने वाली संस्थाओं के बिल पास न हो पाने से विकास कार्य ठप पड़े हैं। वहीं उक्त नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारी न होने से कर्मचारियों की तनख्वाह लटकने लगी।
उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की घोषणा होने के बाद शासन द्वारा प्रदेश की सभी नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों के बोर्डों को भंग कर दिया गया। हालांकि चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सरकार ने ओबीसी आरक्षण पर चुनाव कराने के लिए समय लेते हुए शीघ्र चुनाव कराने की बात कही। जनपद में खरखौदा, किठौर, बहसूमा, फलावदा, दौराला, हर्रा, हस्तिनापुर, लावड़, शाहजहांपुर, खिवाई, सिवालखास, परीक्षितगढ़, करनावल सहित 13 नगर पंचायत है।
सूत्रों द्वारा जानकारी के अनुसार इनमें से नगर पंचायत हर्रा, दौराला का कार्यभार देख रहे अधिशासी अधिकारी डा. शैलेन्द्र सिंह, खरखौदा, किठौर का कार्यभार देख रहे अधिशासी अधिकारी राजीव बालियान, फलावदा की अधिशासी अधिकारी नीतू सिंह का प्रमोशन कर अन्य जनपद में भेज दिया गया साथ ही लावड़ व सिवालखास का चार्ज देख रहे सुधीर सिंह की सड़क हादसे में मौत हो जाने के बाद से यहां करीब जिले के 13 में से करीब सात नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारी के पद काफी समय से खाली पड़े हैं।
अभी तक इन नगर पंचायतों में किसी भी अधिशासी अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जिस कारण नगर पंचायतों में विकास कार्य ठप पड़े हैं। उक्त नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारी की नियुक्ति न होने से यहां विकास कार्य करा रही संस्थाओं के बिल पास होने में समस्या उत्पन्न हो गई है। जिसके चलते विकास कार्य ठप हो गए हैं। वहीं, अधिशासी अधिकारी विहिन नगर पंचायतों में कर्मचारियों की तनख्वाह लटकनी शुरू हो गई है।
यहां खरखौदा में नगर पंचायत अध्यक्ष की मौत के बाद अधिशासी अधिकारी शशिप्रभा चौधरी का प्रमोशन कर सरधना भेजे जाने के बाद यहां के कर्मचारियों को करीब छ: महीने तनख्वाह लटकने का दंश झेलना पड़ा था। अब दूसरी बार यहां के कर्मचारियों की तनख्वाह लटकने शुरू हो गई है कर्मचारियों ने बताया कि प्रत्येक महीने सात,आठ तारीख को मिल जाती थी, लेकिन अधिशासी अधिकारी न होने के कारण नौ तारीख बीतने के बाद भी तनख्वाह मिलने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही।