विकास इतिहास के साथ ज्ञान का निर्माण भी करता है- प्रो.

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Update: 2022-10-20 11:08 GMT
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में प्रो.एस के सरल सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में प्रो. बद्रीनारायण, डायरेक्टर, बी.पंत इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज प्रयागराज, अन्य अतिथि प्रोफेसर एसएम पटनायक, प्रो. बीबी मोहंती, प्रो. अरविंद मोहन, डॉ. अर्चना सिंह, प्रो. पीएस शर्मा, प्रो. डीआर साहू एवं अन्य शिक्षाविद उपस्थित रहे। पीएचडी शोधार्थी व अन्य छात्र छात्राएं भी उपस्थित थे।कार्यक्रम की शुरुआत में प्रो.एसपी शर्मा डीन फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एक्स ऑफिशियो हेड सोशियोलॉजी ने अतिथियों का स्वागत पुष्प व स्मृति चिन्ह के साथ किया। कार्यक्रमों के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि विकास यात्रा पर चर्चा विकास को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी। इसके बाद मुख्य अतिथि प्रो. बद्रीनारायण ने विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि विकास की अवधारणा मूर्त अमूर्त हो सकती है, यह अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग हो सकती है। सभी को परिभाषित करना आवश्यक है। इसमें विश्वविद्यालय थिंक टैंक की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
विकास के अध्ययन में लाभार्थी की अवधारणा का अध्ययन आवश्यक है। इसका अध्ययन नीचे से ऊपर की ओर की रणनीति पर करना होगा।विकास इतिहास के साथ ज्ञान का निर्माण भी करता है इसमें विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभाएंगे। चर्चा को आगे बढ़ाया प्रो. अरविंद मोहन ने। उन्होंने बताया कि किस प्रकार 2008 की वैश्विक मंदी ने पूरे विश्व व्यवस्था को पलट कर रख दिया था। जहां विकसित देश विकास के लिए संघर्षरत थे वही एशिया के 2 देश भारत व चीन में वैश्विक अर्थव्यवस्था को संभाला। इसका अर्थ है कि विकास में हमारी इस अग्रणी भूमिका का अध्ययन आवश्यक है। यह शताब्दी एशिया की है मूल रूप से भारत की है। यदि हमें विकास लाना है तो हमारा मुख्य है जनांकिकी लाभांश महिलाओं की भागीदारी छोटे उद्योगों स्वास्थ्य क्षेत्र का अध्ययन आदि होना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना होगा वह मानव संसाधन की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
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