मुरादाबाद न्यूज़: विभागीय अफसरों और राइस मिलर्स ने मिलकर सरकारी धान हड़प लिया. सरकार को चूना लगाया गया. अब दूसरी एफआईआर के बाद विभाग में हड़कंप मचा है. ठाकुरद्वारा में दो साल पहले हुए घोटाले में एक राइस मिल के पार्टन की ओर से नया मुकदमा दर्ज करवाने से बंदरबांट की पोल खुलने लगी है.
मुरादाबाद समेत प्रदेश के बलिया और आजमगढ़ में एक साथ दो वर्ष पूर्व करीब 40 हजार एमटी धान का घोटाला हुआ था. घोटाले के बाद उस वक्त भी मुकदमा हुआ पर उसके बाद भी धान की रिकवरी नहीं हो सकी. जिनके ऊपर आरोप लगा था महावेद राइस मिल के साझीदार मनोज कुमार ने इस बार कोर्ट के आदेश से 4 मार्च को एफआईआर करवाई है. मनोज ने तहरीर में कहा कि उनके मिल में दो-दो मिनट की बिल्टी जनरेट करते हुए ज्यादा धान उतरना दिखा दिया. यह सरासर गलत है. दोषी वही हैं जिन्होंने आरोप लगाए. उन्होंने इसमें तत्कालीन जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी संजीव राय, एसएफसी की केंद्र प्रभारी रेखा, मनोज श्रीवास्तव, तत्कालीन विपणन निरीक्षक प्रशांत सक्सेना और मिल के पार्टनर सुमेर कौशिक समेत दो अज्ञात के विरुद्ध एफआईआर करवाई की है. इतना तो तय है कि सरकारी धान क्रय केंद्रों से गया पर चावल वापस नहीं आया. मिल वालों और विभागीय अफसरों की मिलीभगत से चूना सरकार को लगा. हैरत इस बात की है एफआईआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने मामले में खामोशी अख्तियार कर ली. डीआईजी स्तर से इस प्रकरण से इस मामले का संज्ञान लिया है. सवाल यह भी है कि पहले जो एफआईआर हुई वह सही है या बाद में जो आरोप लगाए गए वह सही हैं. इतना तय है कि घोटाला हुआ पर इसका दोषी कौन है यह पुलिस को साबित करना है.