मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद का एएसआई सर्वेक्षण कराने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्म भूमि के रूप में मान्यता देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सोमवार दिनांक 4 सितंबर 2023 को बहस पूरी हुई। उक्त याचिका अधिवक्ता महक माहेश्वरी द्वारा वर्ष 2020 में दाखिल की गई और जनवरी 2021 में डिफ़ॉल्ट रूप से इसे खारिज कर दिया गया। हालांकि मार्च 2022 में इसे पुनः बहाल किया गया। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष दोनों पक्षों ने अपने तर्क रखे,जिसे सुनकर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है।
मालूम हो कि याचिका में प्रार्थना की गई है कि मंदिर की जमीन हिंदुओं को सौंप दी जानी चाहिए और याचिका का निस्तारण होने तक हिंदुओं को सप्ताह में कुछ दिन तथा जन्माष्टमी के दिन मस्जिद में पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए। याचिका में यह भी बताया गया है कि भगवान कृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था और वह स्थान शाही ईदगाह ट्रस्ट द्वारा निर्मित वर्तमान संरचना के नीचे है। ऐसा कहा जाता है कि वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ ने ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति के साथ एक समझौता किया, जिसमें देवता की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दे दिया गया। याची का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद के प्रांगण के नीचे नक्काशीदार स्तंभों और पुरावशेषों के अस्तित्व की सूचना कुछ श्रमिकों द्वारा दी गई है। इसी पृष्ठभूमि पर कृष्ण जन्मस्थान पर बनी विवादित संरचना की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा अदालत की निगरानी में जीपीआरएस आधारित खुदाई के लिए प्रार्थना की गई है।