नवजात से लेकर 15 साल के बच्चों का भी मृत्यु प्रमाण पत्र बनेगा

इसको विभाग ने अनिवार्य किया

Update: 2024-05-16 08:37 GMT

इलाहाबाद: बुजुर्गों का ही नहीं बल्कि नवजात से लेकर 15 साल के बच्चों का भी मृत्यु प्रमाण पत्र बनेगा. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कवायद शुरू कर दी है. इसके पीछे बच्चों की मौत का डाटा सही उपलब्ध नहीं होने के कारण विभाग ने यह कदम उठाया है. इसको विभाग ने अनिवार्य कर दिया है.

मृत्यु प्रमाण पत्र बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है. यह उन लोगों के लिए बेहद आवश्यक है जो सरकारी सेवाओं और इंश्योरेंस का लाभ लेते हैं. साथ ही संपत्ति बंटवारे में भी यह बेहद काम आता है. शासनादेश के अनुसार जन्म और मृत्य प्रमाण पत्र व्यक्ति के लिए सबसे अहम है. यह सभी का होना चाहिए.

स्वास्थ्य विभाग ने शहर से लेकर ग्रामीण इलाको के सरकारी अस्पतालों और पंजीकृत निजी अस्पतालों को इनफॉर्मेटिव आईडी जारी की है. जिससे वह इस पर जन्म और मृत्यु की सूचना अपलोड कर संबंधित विभाग को भेज सकते हैं. सभी अस्पतालों को यह जारी किया गया है नवजात से लेकर 15 वर्ष या उससे ऊपर आयु के सभी लोगों को जैसे जन्म प्रमाण पत्र जारी होता है, ठीक उसी तरह से मृत्य प्रमाण पत्र भी जारी किया जाएगा.

नवजात से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चों का मृत्य प्रमाण पत्र अभिभावक अमूमन नहीं बनवाते है. जिससे विभाग को मौत का कारण या आंकड़ा नहीं पता चल पा रहा है. इस कारण अब से नवजात से लेकर किसी भी उम्र तक का मृत्य प्रमाण पत्र बनवाना अनिवार्य है.

- डॉ. दिनेश खत्री, एसीएमओ

नगर निगम को देनी होगी सूचना

एसीएमओ डॉ. दिनेश कुमार खत्री ने कहा कि शहर के निजी अस्पतालों में नवजात से लेकर 15 वर्ष के बच्चों की मृत्यु होने पर निजी अस्पताल संचालक को इसकी सूचना नगर निगम को देनी होगी. वहीं ग्रामीण इलाकों के निजी अस्पतालों को सीएचसी या ग्राम पंचायत को सूचना देनी होगी. जिससे उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जा सके.

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