काशी के अस्सी घाट पर पुत्र की दीर्घायु एवं मंगलकामना के लिए उमड़ी व्रती महिलाओं की भीड़
वाराणसी। काशी के अस्सी घाट पर पुत्र की दीर्घायु एवं मंगलकामना के लिए शुक्रवार को माताओं ने जीवित्पुत्रिका का निर्जला व्रत रखकर पूजन-अर्चन किया। शाम होते ही महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका पूजन के लिए एकत्र हो पूरे विधि-विधान से पूजन किया। ग्रामीण क्षेत्रों और नगर के घाटों और कुंडों, तालाबों के अलावा मंदिरों पर महिलाओं की काफी भीड़ रही। व्रती महिलाओं ने बताया कि पुत्रों की दीर्घायु की मंगलकामना के लिए रखा जाने वाला यह व्रत काफी कठिन है। इसमें महिलाएं 24 घंटे तक निराजल व्रत रहती है, 24 घंटे के बाद व्रति महिलाएं इस व्रत का पारण करती है। पूजा में चना, फल आदि भेंट चढ़ाया जाता है।
इस पूजन में महिलाएं इकट्ठा होकर पांच या सात कथा पढ़ती है। महिलाओं ने सोन नदी में स्नान तथा पूजा-पाठ के बाद जिऊतिया की कथा का श्रवण किया। महिलाओं ने प्रतीक के रूप में सोने या चांदी की जिउतिया गले में धारण किया। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पुत्र पर आने वाला संकट भी टल जाता है। पर्व के मद्देनजर महिलाओं ने रविवार की भोर से ही निर्जला व्रत किया। दोपहर बाद महिलाएं सोन नदी स्नान के लिए विभिन्न घाटों पर पहुंची। स्नान के बाद पूजा-पाठ तथा दान-पुण्य किया। इसके बाद सोन नदी घाटों, घरों तथा मंदिरों में ब्राह्मण से जिउतिया की कथा सुनी। जिस महिला के जितने पुत्र होते हैं, वह उतनी संख्या में जिउतिया को धारण करती हैं।