डीएल और चालान की करोड़ों शुल्क वसूली का हिसाब नहीं

Update: 2023-05-18 08:30 GMT

लखनऊ न्यूज़: कैग की जांच रिपोर्ट में परिवहन विभाग की बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है. ड्राइविंग लाइसेंस, टैक्स, ई-चालान और वाहन संबंधी अन्य शुल्क के नाम पर आवेदकों से करोड़ों रुपये ऑनलाइन जमा करा लिए. अब इसका हिसाब ही नहीं मिल रहा. हद तो यह है कि ऑनलाइन वसूले गए पैसों के मिलान के लिए विभाग ने साफ्टवेयर ही नहीं बनाया. लिहाजा फीस वापसी के लिए आवेदक प्रदेश भर के आरटीओ कार्यालयों में भटकते रहे.

लेखापरीक्षा ने विभागीय जांच में पाया कि वर्ष 2016-17 से 2020-21 के दौरान ऑनलाइन मिली 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि बैंक में जमा हुई, जो कुल राजस्व का 64 फीसदी है.

इन पैसों के मिलान के लिए विभाग की ओर से न तो कोई सॉफ्टवेयर विकसित किया गया और न ही मैन्युअल सिस्टम बनाया गया. इस पर कैग ने आपत्ति जताई है. इसके अलावा सारथी फोर और वाहन फोर अप्लीकेशन्स को भी शुरू कर दिया गया. पर, महीनों बाद भी अप्लीकेशन्स में मिलान और वापसी के लिए कोई मॉडल विकसित नहीं किया.

रिपोर्ट पर दी सफाई

लेखापरीक्षा की रिपोर्ट सामने आने के बाद परिवहन विभाग ने अपनी सफाई में जुलाई 2022 में कहा कि सॉफ्टवेयर एनआईसी द्वारा विकसित किया गया है. परीक्षण के चरण में है. इसका कार्यान्वयन शीघ्र ही एनआईसी और भारतीय स्टेट बैंक के समन्वय से सुनिश्चित किया जाएगा.

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