फसलें हुईं बर्बाद, चिंता में डूबे किसान, आइये विस्तार में जानते
उत्तराखंड में बेमौसम बारिश से गंगा में आए उफान ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है। खादर क्षेत्र के दस गांवों के सैकड़ों किसानों की सब्जी की फसल बर्बाद हो गई है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | उत्तराखंड में बेमौसम बारिश से गंगा में आए उफान ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है। खादर क्षेत्र के दस गांवों के सैकड़ों किसानों की सब्जी की फसल बर्बाद हो गई है। गन्ने के खेतों में पानी भरा है। जलस्तर अभी भी खतरे के निशान पर है, जिससे किसानों की मुश्किलें आने वाले दिनों में भी कम होने के आसार कम ही है।
रामराज क्षेत्र के जीवनपुरी, रामपुर ठकरा, उजाली कलां, उजाली खुर्द, सिताबपुरी, नया गांव, खैर नगर, मजलिसपुर, हंसावाला समेत करीब 10 गांव के किसानों के लिए गंगा का पानी मुसीबत बन गया है।
जीवनपुरी के किसान संजीव कुमार का कहना है कि गन्ने के खेत में पानी भरा है। सब्जी की फसल बर्बाद हो गई है। लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
किसान धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि प्रशासन ने फसलों को बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए हैं। किसानों की समस्या को कोई समझने के लिए तैयार नहीं है।
किसान प्रदीप कुमार का कहना है कि सब्जी की फसल बर्बाद होने से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। अभी पानी उतरने की कोई संभावना नहीं है।
इन फसलों को हुआ नुकसान
गन्ना, परमल, मूली, गोभी, गाजर समेत अन्य फसलों को नुकसान हुआ है।
प्रशासन ने नहीं की सुनवाई
भाजपा किसान मोर्चा के कार्यकारिणी सदस्य आशीष शर्मा का कहना है कि प्रशासन के अधिकारियों को जानकारी दी गई थी। जलस्तर बढ़ने और फसलों के नुकसान की जानकारी दी, लेकिन अभी तक क्षेत्र में कोई अधिकारी नहीं पहुंचा है। जिला पंचायत अध्यक्ष ने जरूर किसानों की समस्या सुनी है।
रामपुर ठकरा के रास्तों पर भर गया पानी
गंगा खादर के गांव रामपुर ठकरा के आने जाने के रास्ते बंद हो गए हैं। ग्रामीण सिर्फ ट्रैक्टरों पर सवार होकर ही यहां पहुंच रहे हैं।
सब्जियों के दाम आसमान पर
बारिश के बाद सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंचने शुरू हो गए हैं। गोभी का भाव 60 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है, जबकि तीन दिन पहले 45 रुपये प्रति किलो का भाव था। पालक का भाव 20 रुपये बढक़र 50 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है। अन्य हरी सब्जियों के दाम भी बढ़ गए हैं।
प्रशासन कराएगा नुकसान का आंकलन
एसडीएम जानसठ जयेंद्र कुमार का कहना है कि पानी उतरते ही किसानों के नुकसान का आंकलन कराया जाएगा। प्रशासन जलस्तर पर निगाह रखे हुए हैं। बाढ़ चौकियों भी अलर्ट पर हैं।
गंगा का जलस्तर घटा, किसानों की दिक्कतें बढ़ीं
उधर, हस्तिनापुर में गंगा के जलस्तर में गुरुवार को भारी गिरावट दर्ज की गई। इसके चलते खादर क्षेत्र के कई गांवों में भरा पानी कुछ कम हो गया है। लेकिन ग्रामीणों की दिक्कतें कम नहीं हुई हैं। खेत और संपर्क मार्गों पर अभी तक पानी भरा होने से लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। बिजनौर बैराज पर तैनात अवर अभियंता पीयूष कुमार ने बताया कि गंगा का जलस्तर बिजनौर बैराज पर 94 हजार क्यूसेक पर आ गया है।
क्षेत्र के गांव दबखेड़ी, लतीफपुर, भीमकुंड, किशनपुर के बाहरी छोर पर पानी भरा हुआ है। कई गांव से पानी निकल कर जंगल में पहुंच गया है। हालांकि टूटे तटबंध से अभी तक पानी खादर क्षेत्र में आ रहा है। जब तक गंगा का पानी बाहर आता रहेगा, खादर क्षेत्र में जंगल जलमग्न रहेंगे। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जलस्तर बुधवार के मुकाबले कम है।
सोती नदी उफान पर
खादर क्षेत्र में जल स्तर में गिरावट आने से पानी गांव से जंगल में पहुंच गया है। इसके चलते सोती नदी उफान पर है। सोती नदी के सहारे पानी गंगा की धारा में आगे की ओर पहुंच रहा है। लतीफपुर के प्रधान दिलदार सिंह ने बताया कि उनके गांव के कई घरों में पानी भरा है। भीकुंड पुल पर जाने वाली सड़क उनके गांव के लिए खतरा साबित हो रही है। इस सड़क पर बड़ी-बड़ी पुलियों का निर्माण होना चाहिए।
खेतों से सिल्ट भरने से फसल बर्बाद
गंगा के पानी के साथ आई सिल्ट क्षेत्र के किसानों की बर्बादी का कारण बन रही है। धान, गन्ना और चारे की फसल पर सिल्ट जम जाने से फसल नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई है। इसकी वजह से किसानों को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है