फसल बीमा कंपनी मालामाल, किसान बेहाल

Update: 2023-07-26 04:50 GMT

अलीगढ़ न्यूज़: फसल बीमा में किसानों का बेशक भला न हो रहा हो लेकिन कंपनियां जरूर मालामाल हो रही हैं. बीते पांच साल की बात करें तो किसान, राज्यांश, केन्द्रांश मिलाकर कंपनियों पर करीब 25 करोड़ रूपया प्रीमियम का जमा हुआ. जिसमें से क्षतिपूर्ति के नाम पर करीब 11 करोड़ रूपए का लाभ ही किसानों को मिल पाया. इसके चलते धीरे-धीरे किसानों का फसल बीमा से मोहभंग होता जा रहा है.

अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पांच साल पहले 47 हजार किसानों ने बीमा कराया था. वह 2022 में घटकर 13 हजार रह गए. हालांकि फसल बीमा स्वैच्छिक है लेकिन फसल बीमा की जटिलताओं व बीमा लाभ पाने के लिए किसानों को कंपनियों के दफ्तरों में चक्कर लगाने से किसान बीमा कराने में रूचि नहीं ले रहे हैं. वहीं कई फसलें बीमा कवर में शामिल भी नहीं हैं.

कब मिलता है बीमा का लाभओलावृष्टि, जलभराव (धान को छोड़कर), भूस्खलन, बादल फटना, आकाशीय बिजली से खड़ी फसल बर्बाद होने पर क्षतिपूर्ति मिलती है. इसके अलावा फसल कटाई के बाद 14 दिन तक खेत में रखी फसल दैवीय आपदा से प्रभावित होने पर लाभ मिलता है. धान के लिए 15 प्रतिशत प्रीमियम की दर होती है. इसमें दो प्रतिशत किसान को देना होता है, जबकि 6.5 प्रतिशत राज्यांश व इतना ही केद्रांश का होता है. ऋण लेने वाले किसानों के लिए बीमा अनिवार्य था. अब ऐच्छिक कर दिया है.

एक साल में बीमित राशि प्रति हेक्टेयर करीब 12 हजार रुपये बढ़ी फसल बीमा की बीमित राशि प्रति हेक्टेयर की एक साल में बढ़ोत्तरी हो गई है. बीते साल खरीफ की मुख्य धान की फसल की प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 67,611 रुपए थी. जो अब बढ़ाकर 79 हजार से भी ऊपर पहुंच गई है. किसानों को दो प्रतिशत इस बीमित राशि का देना होता है.

कब कितना दिया किसानों ने प्रीमियम, कितना लाभ

● 2018 में 47 हजार किसान- प्रीमियम दिया- करीब नौ करोड़-8825 किसानों को तीन करोड़ का ही लाभ मिला.

● 2019 में 32 हजार किसान-प्रीमियम दिया- ढाई करोड़-साढ़े तीन हजार किसानों को 1.14 करोड़ का ही लाभ मिला.

● 2020 में 19 हजार किसान-प्रीमियम दिया- 4.97 करोड़-

● 2021 में 16 हजार किसान-प्रीमियम दिया-3.20 करोड़-चार हजार किसानों को 1.25 करोड़ का ही लाभ मिला.

● 2022 में 12 हजार किसान-प्रीमियम दिया-4.83 करोड़-526 किसानों को 34.83 लाख का ही लाभ मिला.

● लगातार सामने आ रहे कम लाभ के चलते ही किसानों का मोह इस योजना से भंग होता चला जा रहा है.

कम मिल रही राशि

अलीगढ़ में खरीफ की मुख्य फसल धान है. 87,082 हेक्टेयर में यहां धान होता है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खरीफ की अधिसूचित फसलों में धान, बाजरा, मक्का, अरहर को शामिल किया गया है. ज्वार, उड़द, मूंग, तिल, सोयाबीन और मूंगफली को अलीगढ़ में अधिसूचित नहीं किया गया. उड़द, मूंग को अधिसूचित करने की किसानों की वर्षों पुरानी मांग है.

ये है क्लेम का नियम

फसल प्राकृतिक आपदा, कीट व बीमारियों से नष्ट हो जाती है तो उसे इसकी जानकारी टोल फ्री नंबर पर देनी होती है. 72 घंटे में सर्वे होता है, फिर उत्पादन व नुकसान के हिसाब से क्लेम मिलता है.

किसान ने बीमा कराया, कंपनी ने प्रीमियम राशि ले ली. इसके बाद अगर फसल बर्बाद हुई तो फिर किसान बीमे का लाभ पाने के लिए परेशान हो जाता है. अब बाढ़ हुई है, जिसमें धान की पूरी फसल पूरी डूबकर खत्म हो गई. जो कि बीमा कंपनी के नियमों में मान्य नहीं है.

शैलेन्द्र पाल सिंह, किसान नेता

साल दर साल फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या घट रही है. अगर किसान फसल का बीमा कराते हैं तो उनको लाभ तो मिलता है लेकिन वह बीमा का लाभ पाने के मानकों के अनुरूप होना चहिए. राकेश बाबू, संयुक्त कृषि निदेशक

Tags:    

Similar News

-->