गो आश्रय स्थलों में गोवंश दुर्दशा के शिकार, खाना-पानी-दवा को मोहताज, रकम अफसर कर गए चट
निराश्रित गोवंशों के लिए आश्रय देने के लिए प्रदेश सरकार तो गंभीर है। कई योजनाएं भी बनीं, लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन में लगे अधिकारी और कर्मचारी बेपरवाह हैं। गो संरक्षण केंद्र में अव्यवस्थाओं के चलते गोवंश दुर्दशा के शिकार हैं। शनिवार को अमर उजाला की टीम की पड़ताल में जानी खुर्द स्थित अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की बदतर तस्वीर सामने आई।
Trending Videos
हमारे संवाददाता ने जैसे ही कदम गो आश्रय केंद्र के अंदर रखे, कई गायें उनकी तरफ कुछ खाने की आस में दौड़ पड़ीं। आगे चाहरदीवारी के बीच टीन शेड के नीचे 200 गोवंश बंधे मिले। इनमें से ज्यादार भूखे-प्यासे थे। कुछ के सामने सूखा भूसा पड़ा था। ज्यादार गायें इंफेक्शन से ग्रस्त थीं।
50 प्रतिशत गोवंश की जियो टैगिंग भी नहीं की गई थी। कई गोवंश की हालत चारे के अभाव में बेहद दुर्बल हो चुकी है। कई बीमार अवस्था में हैं। कई बेहोशी की हालत में पड़ी थीं। एक बुग्गी में कई मृत गोवंशों को तिरपाल से ढ़ककर रखा गया था।
यह भी पढ़ें: रिश्तों का कत्ल: झूठी शान की खातिर 18 साल हत्या के लिए इंतजार करता रहा मामा, पहले जीजा-बहन फिर भांजे को दी मौत
न चारा मिला न पैसा, कई महीनों से पशु चिकित्सक भी नहीं पहुंचा
जानी स्थित इस गो आश्रय स्थल में 200 पशुओं के चारे के लिए 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से धन आता है, लेकिन दो माह से एक रुपया नहीं मिला। बीमार पशुओं की देखभाल के लिए कोई चिकित्सक भी महीनों से नहीं पहुंचा।
कई माह से हरा चारा भी उपलब्ध नहीं हुआ है। यहां कार्यरत पांच कर्मचारियों को भी दो माह से वेतन नहीं मिला। ग्राम प्रधान वेदपाल फौजी ने बताया कि स्वयं की निधि से कुछ रुपये खर्च कर भूसा मंगवाया है। सरकार की तरफ से दो माह से कोई सहायता राशि प्राप्त नहीं हुई है।
चर की सफाई नहीं, पीने का पानी भी गंदा
गायों को खाने के लिए सूखा भूसा डाला गया था। सालों से पानी की चर की सफाई नहीं हुई थी। चर में काई और गंदगी जमा है। की जगह चर टूटी पड़ी है। इससे गोवंंशों को पानी पीना भी मुश्किल है।
Investigation: Cows rendered destitute at the cow shelter itself, needing food, water and medicine
खाली पड़ी चारा मशीन - फोटो : Amar Ujala
बाहर लिखा जगह नहीं है, लोग रात में छोड़ जाते गोवंश
विकास खंड जानी खुर्द के इस गो आश्रय स्थल के बाहर लिख दिया गया है कि ये गोवंश आश्रय स्थल पूर्ण हो गया है। किसी भी गाय को यहां न लाया जाए। ग्राम प्रधान ने बताया कि इसके बाद भी बड़ी संख्या में लोग गोवंशों को रात्रि में आश्रय स्थल के बाहर बांधकर चले जाते हैं।
पोर्टल में समस्या के चलते ट्रांसफर नहीं हुआ पैसा
पोर्टल में समस्या के चलते पूरे जिले में दो माह से पैसा ट्रांसफर नहीं हो पाया है। ग्राम प्रधान ने एक महीने के लिए अपनी निधि से व्यवस्था की है। क्षमता से अधिक गाय गो आश्रय स्थल में हो गई हैं। प्रधान और सचिव की जिम्मेदारी होती है कि नियमित रूप से मृत पशुओं को आश्रय स्थल से हटवाएं। जानी क्षेत्र में बारिश के कारण चारे की समस्या है। मोदीनगर आदि स्थानों से चारा मंगवाया जा रहा है। - पंकज कुमार, खंड विकास अधिकारी, जानी।
जानी गोशाला में एक गाय के मरने और पांच गायों के बीमार होने की जानकारी मिली है। गोवंश को हरा और भूसा चारा दिया जा रहा है। प्रत्येक माह ग्राम पंचायत को 30 रुपये प्रतिदिन प्रति गोवंश के हिसाब से खर्च दिया जा रहा है। अगर लापरवाही की जा रही है जो जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। - डाॅ. अखिलेश गर्ग, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।
देहात की जनता गोवंश को मरणासन अवस्था में गोशाला में छाेड़ जाते हैं। हम उनका उपचार करके ठीक करने का प्रयास करते हैं। शनिवार को एक गाय ने दम तोड़ा है। पांच बीमार हैं। चारा आदि की व्यवस्था ग्राम प्रधान करा रहे हैं। यह बात सही है कि गोवंश को भूसा ही मिल रहा है। कई बार बजट को लेकर विशेष सचिव तक के सामने रखी गई। -डॉ. संदीप, पशु चिकित्साधिकारी।
हमें दो माह का सरकार से बजट नहीं मिला है। उधार रुपये लेकर गायों के लिए भूसे की व्यवस्था की है। प्रयास कर रहे हैं गोशाला अच्छी चले। गोशाला में केवल दो गायें मरी हैं। कुछ बीमार हैं। 1 लाख 75 हजार रुपये का प्रतिमाह खर्च है। - वेदपाल फौजी, ग्राम प्रधान जानी।