अदालत ने ज्योति हत्याकांड के दोषियों को सुनाए उम्रकैद की सजा

Update: 2022-10-22 11:22 GMT

कोर्ट रूम न्यूज़: सजा सुनाते समय अदालत को अपराध की गंभीरता बढ़ाने वाली और कम करने वाली परिस्थितियों पर विचार करना होता है। इस मामले में मृत्युदंड दिया जाना उचित नहीं है। अभियुक्तों का अपराध विरल से विरलतम श्रेणी में नहीं आता। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले में निर्धारित किया है कि मृत्युदंड विरल से विरलतम मामले में दिया जाना चाहिए। इसलिए अदालत दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाती है। सजा के बिंदु पर अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने इसी टिप्पणी के साथ ज्योति की हत्या के छह दोषियों को सजा सुनाई। अपर जिला जज प्रथम अजय कुमार त्रिपाठी की अदालत में शुक्रवार को ज्योति की हत्या के दोषियों को सजा सुनाई जानी थी। सुबह से ही अधिवक्ताओं, मुवक्किलों के अलावा दोषियों के परिजनों का जमावड़ा कोर्ट के बाहर लगा था। कोर्ट में सरकार बनाम पीयूष की फाइल में पुकार हुई और अभियोजन व बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने सजा के बिंदु पर अपने-अपने तर्क रखे। अभियोजन ने जहां मुकदमे को विरल से विरलतम श्रेणी का कहते हुए दोषियों के लिए फांसी मांगी। वहीं बचाव पक्ष ने दोषियों का कोई आपराधिक इतिहास न होने की बात कहते हुए रहम की दुहाई दी।

अभियोजन का तर्क: अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक दामोदर मिश्रा, डीजीसी दिलीप अवस्थी, एडीजीसी धर्मेंद्र पाल सिंह ने कोर्ट के सामने तर्क रखा कि ज्योति की नृशंस हत्या की गई है, जिससे पूरा समाज द्रवित है। मामले में ऐसी सजा दी जाए जिससे समाज में संदेश जाए। पति द्वारा पत्नी की लोमहर्षक हत्या कराई गई, जिससे पूरा समाज आक्रोशित है। अभियुक्तों को मृत्युदंड दिया जाए। इस संबंध में अभियोजन ने मुकेश बनाम स्टेट ऑफ मध्य प्रदेश, कुंजुकुंजु जर्नाद्धनन बनाम स्टेट ऑफ केरला व मच्छी सिंह व अन्य बनाम स्टेट ऑफ पंजाब की विधि व्यवस्थाओं का भी जिक्र किया।

बचाव पक्ष का तर्क: बचाव पक्ष की ओर से पीयूष के अधिवक्ता सईद नकवी, मनीषा के अधिवक्ता कमलेश पाठक, अवधेश व सोनू के अधिवक्ता सुरेश सिंह चौहान, रेनू के अधिवक्ता रामबहल विद्यार्थी ने कोर्ट में तर्क रखे। अधिवक्ताओं का कहना था कि सभी अभियुक्त नवयुवक हैं, पहला अपराध है।

चार अभियुक्त तो इतने गरीब हैं कि वह अधिकतम जुर्माना होने पर हाईकोर्ट से रहम मिलने के बावजूद जुर्माना अदा न कर पाने की हालत में जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। इनकी गरीबी पर गौर करते हुए कम से कम जुर्माना लगाया जाए। पीयूष संभ्रांत परिवार का नवयुवक है, मनीषा अविवाहित नवयुवती है, दोनों का यह प्रथम अपराध है। इससे पहले न तो किसी अपराध में दोष सिद्ध हुआ, न ही उसका कोई आपराधिक इतिहास। कम से कम सजा दें।

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