सरकारी महकमों के उत्पीड़न से सिसक रहा कुटीर उद्योग

Update: 2023-02-23 14:16 GMT

मुरादाबाद न्यूज़: यूपी में एक ओर इन्वेस्टर्स समिटि के आयोजन से भारी-भरकम निवेश के बल पर नई-नई औद्योगिक इकाइयां आ रही हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी महकमों की उपेक्षा के चलते कुटीर उद्योग तमाम समस्याओं से सिसक रहा है. कुटीर उद्योगों को सहूलियतें मिलना दूर तमाम संबंधित सरकारी विभाग उनके उत्पीड़न से बाज नहीं आते. मुरादाबाद में घरों में चलने वाली अगरबत्ती, नमकीन, पेस्ट्री, अचार और पापड़ बनाने की तमाम कुटीर इकाइयों को हर दिन समस्याओं से जूझना पड़ता है.

मुरादाबाद में कुल मिला कर छोटे-बड़े करीब एक हजार कुटीर उद्योग हैं. इनसे तमाम परिवारों की रोजी-रोटी चलती है. इन उद्योगों को किसी तरह की सहूलियत नहीं मिल रही. घनी आबादी और गलियों में जो लोग काम करते हैं उन्हें विद्युत विभाग, एमडीए, समेत कई सरकारी विभागों के कारिंदे नियम-कानूनों का हवाला देकर आए दिन परेशान करते हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी कार्य करने वाले अगर व्यापार के सिलिसले में भवन में जरा भी विस्तार अथवा फेरबदल करते हैं तो एमडीए के इंजीनियर अवैध निर्माण का हवाला देकर नोटिस थमा देते हैं. जब वह कुटीर उद्योग में नक्शा पास करवाने जाते तो होता नहीं है. तब अफसर कहते हैं कि इसकी नियमावली नहीं है. घरों में इकाइयां चलाने वालों को सबसे ज्यादा उत्पीड़न विद्युत विभाग से झेलना पड़ता है. घर पर किसी ने पापड़ भी बनाए तो उन पर कामर्शियल कनेक्शन का नोटिस पहुंचता है.

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