एंबुलेंस के फेरों में फर्जीवाड़े की 1 हफ्ते में पूरी करें जांच, शासन हुआ सख्त
गोरखपुर न्यूज़: एंबुलेंस के फेरों में फर्जीवाड़े की जांच को लेकर शासन सख्त हो गया है. गोरखपुर मंडल के भी चारों जिलों में एक साल से जांच पूरी नहीं होने पर शासन ने अपर निदेशक के पेच कसने के साथ ही कठोरतम कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. इस पर एडी ने सभी सीएमओ को पत्र लिखकर एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है.
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 102 और 108 एंबुलेंस सेवा निशुल्क संचालित है. इसका संचालन जीवीके एमआरआई कंपनी करती है. सरकार की ओर से कंपनी को फेरे के हिसाब से भुगतान किया जाता है. जिले में इस सेवा की 94 एंबुलेंस संचालित हैं. फेरों में फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद मई-22 में शासन ने जांच के आदेश दिए थे. सभी जिलों को एंबुलेंस से सेवा लेने वाले मरीज व अस्पताल से संपर्क कर तस्दीक करना था. सीएमओ को इसकी रिपोर्ट एडी हेल्थ को भेजनी थी. एडी हेल्थ को यह क्रॉस चेक करने के बाद रिपोर्ट अग्रसारित करनी थी. बताया जा रहा हैकि पूरे प्रदेश में किसी जिले ने जांच पूरी नहीं की है.
जांच को लेकर बेपरवाह हैं अधिकारी जांच को लेकर अधिकारी बेपरवाह हैं. शासन और एडी द्वारा बार-बार पत्र दिए जाने पर भी वह जांच नहीं कर रहे हैं. वर्ष 2022 में 20 मई से लेकर 13 दिसंबर तक एडी हेल्थ ने चारों जिले के सीएमओ को सात पत्र लिखे. इसके बावजूद किसी जिले में जांच नहीं हुई. आदेशों की नाफरमानी से नाराज एडी हेल्थ ने दिसंबर-22 में एनएचएम के डीपीएम का वेतन बाधित करने का आदेश भी जारी कर दिए. जिलों में सीएमओ ने इस आदेश का भी अनुपालन नहीं किया. यही कारण है कि प्रमुख सचिव ने जांच पूरी करने का अल्टीमेटम दिया है.
21 हजार से अधिक मरीजों की होनी है जांच
शासन ने हर जिले में जांच की संख्या भी निर्धारित कर दी है. मंडल में 21 हजार से अधिक मरीजों का सत्यापन होना है. शासन द्वारा जारी पत्र के मुताबिक गोरखपुर में 6947, कुशीनगर में 5183, देवरिया में 4966 और महाराजगंज में 4425 मरीजों का सत्यापन करना है. इसकी रिपोर्ट सीएमओ द्वारा क्रास चेक कर भेजी जानी है.