जनता से रिश्ता वेबडेस्क : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अनुसूचित जाति-जनजाति के उत्पीड़न के मामलों में अभियुक्त की दोषसिद्धि के बाद मुआवजे का फैसला पारित किया है। इस आईने में देखें तो गोरखपुर जिले में दोषसिद्धि के पहले ही तीन साल में 17.86 करोड़ रुपये पीड़ितों को बांट दिए गए। वर्ष 2019 से इस साल जुलाई तक 2548 मामलों में यह धनराशि दी गई।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन नियम 2016 के आधार पर पीड़ित व्यक्ति को अलग-अलग मामलों में अलग अलग आर्थिक सहायता विभिन्न स्तरों पर मिलती है। एफआईआर, आरोप पत्र दाखिल होने पर और दोषसिद्ध होने पर निर्धारित धनराशि को अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाता है। अधिकांश मामलों में पीड़ित को 75 फीसदी तक धनराशि आरोप पत्र दाखिल होने तक मिल जाती है। लेकिन समाज कल्याण विभाग में मामले लम्बे चलते हैं। ऐसे सिर्फ 10 फीसदी मामले ही हैं, जिनमें निर्णय के बाद पीड़ित को आर्थिक सहायता मिलती है। दबी जुबान विभागीय अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि ज्यादातर मामलों में एससी-एसटी एक्ट में मुआवजे का पैसा मिलने के बाद पीड़ित पक्ष अभियुक्त से सुलह कर लेते हैं।
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