गाजियाबाद न्यूज़: हिंडन नदी में 44 साल के बाद एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडरा गया . गाजियाबाद में हिंडन किनारे बसे 20 गांवों बाढ़ की जद में आ गए हैं. सिंचाई विभाग ने डूब क्षेत्र में किसी भी तरह की गतिविधि या अतिक्रमण तत्काल हटाने की चेतावनी दी थी. इसमें कहा गया था कि इस क्षेत्र में कोई भी तरह की जनधन की हानि होने पर संबंधित व्यक्ति खुद जिम्मेदार होगा. बावजूद इसके इसके चेतावनी की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया.
सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता संजय कुमार ने बताया कि हिंडन नदी में वर्ष 1978 में बाढ़ आने के बाद से हिंडन नदी पर तटवर्ती बंध बनाए गए. नदी के बाढ़ की एक सीमा तय की गई, जिसे डूब क्षेत्र कहा गया. इस डूब क्षेत्र में किसी प्रकार का अतिक्रमण या फिर पक्का निर्माण मान्य नहीं है. धीरे-धीरे नदी के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण होता चला गया. बाढ़ के समय इन इन गांवों के सटे डूब क्षेत्रों में हुए अवैध निर्माणों के क्षतिग्रस्त होने से भारी जन-धन की हानि की आशंका पहले ही जारी की जा चुकी है.
गांव सटे हैं डूब क्षेत्र की सीमा में
गाजियाबाद ग्राम घूकना, सिहानी, सद्दीकनगर, नूरनगर, मोरटी, करहैडा, मेवला अगरी, अटौर, भनैडा, असालतपुर, नगला, शमशेर, फिरोजमोहनपुर, अर्थला एवं महीउद्दीनपुर कनावनी.
शासन- प्रशासन कोई सुरक्षा नहीं करेगा
सिचाई विभाग की ओर से जारी अलर्ट में साफ कहा गया है कि डूब क्षेत्र में हुए किसी भी निर्माण के बाढ़ के समय नुकसान पहुंचने पर जिला प्रशासन और शासन की ओर से कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकेगी. इसके साथ ही किसी भी हानि के लिए कोई क्षतिपूर्ति भी नहीं दी जाएगी. इस संबंध में एनजीटी के स्पष्ट आदेश हैं कि डूब क्षेत्र में के अवैध निर्माण के कारण बाढ़ से होने वाली क्षति की कोई प्रतिपूर्ति शासन द्वारा नहीं की जाएगी तथा बाढ सुरक्षा कार्य भी नहीं कराये जाएंगे. साथ ही अवैध निर्माण से होने वाली क्षति की वसूली अवैध निर्माणकारियों से की जाएगी.
सभी संबंधित उपजिलाधिकारियों को इस संबंध में दिशा निर्देश दिए गए है. हिंडन नदी के तटवर्ती बंध के किराने बसे गांवों में मुनादी कराकर डूब क्षेत्र से हटने के कहा गया है. जिन क्षेत्रों में पानी भर गया है वहां से लोगों व पशुओं को बाहर निकालकर राहत शिविरों में भेजा जा रहा है. प्रशासन नगर निकाय की टीम हर संभव मदद कर रही हैं. -राकेश कुमार सिंह, जिलाधिकारी, गाजियाबाद