एक ही सीट पर लंबे समय से जमे हैं क्लर्क, नहीं टूट रहा क्लर्कों की मठाधीशी का तिलिस्म

Update: 2023-02-01 11:05 GMT

मेरठ: नगर निगम आॅफिस में तो पटल परिवर्तन क्लर्क स्तर पर हुआ ही नहीं साथ ही नगर निगम के जो डिपो आॅफिस है, वहां भी लंबे समय से तैनात कलर्क भी नहीं हटाये गए। एक तरह से क्लर्क और डिपो इंचार्ज कि यहां पर मठाधीश चल रही है। नगर निगम आॅफिस में निर्माण अनुभाग हो या फिर गृह कर अनुभाग, इन सभी में पांच-पांच वर्षों से कर्मचारी एक ही पटल पर काम कर रहे हैं।

उनकी मठाधीशी का तिलिस्म अधिकारी नहीं तोड़ पाए हैं। ऐसे क्लर्कों की मठाधीश बरकरार चल रही हैं। नगर आयुक्त भी इनकी वर्चस्व नहीं तोड़ पा रहे हैं। आखिर ऐसी क्या मजबूरी हैं कि तीन वर्ष के नियम इन पर लागू नहीं कर पा रहे हैं? अब वर्तमान में भी कुछ वैसा ही हालत नगर निगम के आॅफिसों में चल रहा है। पटल परिवर्तन तो दूर कलर्क जो चाहते हैं, वही हो रहा है। आखिर अधिकारी किस दबाव में हैं, जो तीन वर्ष वाले नियमों को क्लर्कों पर लागू नहीं कर पा रहे हैं। पटल परिवर्तन नहीं किया जा रहा हैं।

आखिर अधिकारी किस दबाव में आकर पटल परिवर्तन के आदेश करने से बच रहे हैं? इसको लेकर अधिकारियों पर भी उंगली उठ रही है। कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. के पास भी पटल परिवर्तन नहीं करने की शिकायत पहुंची हैं, लेकिन फिर भी पटल परिवर्तन क्लर्कों के नहीं किया जा रहा हैं। ' जनवाणी' ने नगर निगम के दस ऐसे क्लर्कों का समाचार भी प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जो आठ-आठ वर्ष से नगर निगम में एक ही पटल पर जमे हुए हैं और उनका किसी तरह का पटल परिवर्तन ही नहीं हुआ,

लेकिन उन पर नगर निगम के आला अफसर क्यों खास मेहरबानी दिखा रहे हैं, यह समझ से परे की बात हैं। इसमें अधिकारियों की इस मेहरबानी को लेकर उंगली भी उठ रही हैं तथा छवि भी धूमिल हो रही हैं, मगर फिर भी पटल परिवर्तन क्यों नहीं किया जा रहा हैं, यह बड़ा सवाल हैं। इनके अलावा नगर निगम के सूरजकुंड डिपो, कंकरखेड़ा डिपो और दिल्ली रोड डिपो है, जहां पर लंबे समय से डिपो इंचार्ज से लेकर क्लर्क तक जमे हुए हैं।

क्लर्क तक के पटल परिवर्तन यहां भी नहीं हुए। यहां भी नियमानुसार तीन वर्ष में पटल परिवर्तन हो जाना चाहिए, लेकिन इन पर नियम कायदे कानून कोई मायने नहीं रखते। लंबे समय से डिपो इंचार्ज और क्लर्क जमे हुए हैं। इनके खिलाफ भी कोई पटल परिवर्तन का आदेश नगर निगम के आला अफसर नहीं कर रहे हैं। यही नहीं, इनकी मठाधीशी के सामने अधिकारी एक तरह से देखा जाए तो नतमस्तक हो गए हैं,

जिसके चलते डिपो इंचार्ज बेलगाम है। क्योंकि नगर निगम आॅफिस में ही पटल परिवर्तन नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में डिपो में तैनाती पा रहे क्लर्क और डिपो इंचार्ज को हटाने का तो सवाल ही नहीं उठता। इसमें कई क्लर्क ऐसे हैं, जिनके खिलाफ विभागीय जांच भी चल रही हैं, फिर भी उन पर खास मेहरबानी की क्या वजह हो सकती हैं?

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