सिटी मजिस्ट्रेट अनिल श्रीवास्तव का अनोखा फैसला चर्चा में
सिटी मजिस्ट्रेट ऑफिस में खामोशी से सजा भुगतते रहे दोनों पक्ष
मेरठ: सिटी मजिस्ट्रेट अनिल श्रीवास्तव का अनोखा फैसला चर्चा में है. इस अनोखे फैसले से चार आरोपी सुबह से शाम तक सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में चुपचाप बैठे रहते हैं. इन चारों आरोपियों को 10 दिन तक सुबह ऑफिस खुलने से बंद होने तक मजिस्ट्रेट कार्यालय में बैठने की सजा सुनाई गई है. आरोपियों का कहना है कि सजा भुगत रहे हैं,कानून का पालन तो करना ही पड़ेगा. एक पक्ष दूसरे पर आरोप लगाता है. इस चक्कर में समझौता भी नहीं हो पा रहा है.
यह है मामला मामला कोतवाली थाना क्षेत्र के तोपचीवाड़ा मोहल्ले का है. अबरार व इमरान का मकान अगल-बगल है. एक पक्ष मकान का निर्माण कर रहा था. मकान निर्माण के लिए सामग्री आनी थी. आरोप है पड़ोस में रहने वाले जावेद व अय्यूब ने अपने परिवार के साथ मिलकर सामग्री से भरे वाहन को रोक दिया. अबरार का कहना है कि एक माह पहले उनके भतीजे दिलशाद पर भी अय्यूब के बेटे जुनैद व शारिक ने जानलेवा हमला कराया था. इसके बाद पुलिस ने जुनैद व शारिक समेत अन्य पर जानलेवा हमले की धारा में मुकदमा दर्ज किया था. आरोप है कि बाद में समझौते का दबाव बनाने के लिए जावेद व अय्यूब ने मारपीट की है. तब कोतवाली पुलिस ने शांति भंग की आशंका में मौके से दोनों पक्षों से अबरार व इमरान और अय्यूब व जावेद को हिरासत में ले लिया. सिटी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेश किया गया. सिटी मजिस्ट्रेट ने सुनवाई की, लेकिन किसी पक्ष को जेल न भेजकर अनोखी सजा सुना दी. चारों व्यक्ति सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में सुबह 10 बजे आकर हाजिरी लगाएगा. कार्यालय बंद होने तक चुपचाप बैठे रहेंगे. से यह सजा शुरू हो गई है. 10 दिन की सजा में यदि समझौता नहीं हुआ तो आगे की कार्रवाई की जाएगी. ‘हिन्दुस्तान’ ने चारों आरोपी से बात की तो एक तो दूसरे पक्ष का किरायेदार बताने लगा. कहा कि वह तो मकान मालिक के चक्कर में यह सजा भुगत रहा है. अन्य दो ने कहा कि कानून का पालन तो करना ही पड़ेगा. सजा भुगत रहा हूं. तीसरे व्यक्ति ने कहा कि जो फैसला है वह मानना पड़ेगा.