जौनपुर: जौनपुर जिले के शाहगंज क्षेत्र और आसपास क्षेत्र में अधिकांश देखने को मिल जाता है की स्कूलों द्वारा संचालित डग्गामार वाहनों से नौनिहालों के जान को खतरे में डालकर कथित स्कूल संचालन अभिभावकों से वाहन सुविधा के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। हद तो तब हो जाती है जब इन्ही मासूमों को ऑटो रिक्शा, ई रिक्शा, मैजिक आदि वाहनों में ठूस ठूस कर भरा जाता है, जिनमें गर्मी और उमस के इस मौसम में बच्चों को सांस लेना भी दूभर हो जाता है। और तो और इतने सबके बाद भी सम्बंधित विभाग के जिम्मेदार क्यों अपनी आँखे मूंदे रहते है।
शायद ही कभी ऐसे स्कूल संचालकों द्वारा संचालित ऐसे वाहनों के फिटनेस और मानकों की जाँच की जाती हो। दूसरी बात ऐसे वाहन द्वारा नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं ऐसे वाहनों पर न तो स्कूलों का नाम होता है और न आपात समस्या से निपटने के लिए कोई व्यवस्था। मगर फिर भी सब कुछ बड़े आराम से चलता रहता है, और ऐसे ही निरन्तर चलता भी रहेगा।
बताते चलें कि अभी दो दिन पूर्व ही आज़मगढ़ जनपद के एक स्कूल बस के दो पहिये अचानक से निकल जाते है। ऊपर वाले का शुक्र कहिए की बस में सवार स्कूल के 50 बच्चे बाल बाल बच जाते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे सम्बंधित विभाग किसी अप्रिय घटना घटित होने के इंतज़ार में बैठा हो।
देखा जाता है की अक्सर डग्गामार वाहनों के चालक भी नौसिखिए होते है। जिससे खतरे का और सँशय बना रहता है।
वहीं इस सम्बंध में खण्ड शिक्षा अधिकारी अमरदीप जायसवाल का कहना है वाहनों की जांच पड़ताल की ज़िम्मेदारी जनपद के आरटीओ विभाग की है यदि उस विभाग में कोई शिकायत आती है तो कार्यवाही होती है। और मेरे पास अभी तक ऐसी कोई शिकायत नही आयी है।