बाल आयोग की टीम ने दुबग्गा के मदरसे से बिहार के 24 बच्चों को मुक्त कराया

रिहा कराए गए बच्चों को बाल आयोग की टीम ने बाल कल्याण समिति के हवाले कर दिया

Update: 2024-05-14 05:31 GMT

लखनऊ: बाल आयोग की टीम ने दुबग्गा स्थित अंधे की चौकी के पास मकान में चल रहे मदरसे से 24 बच्चों को मुक्त कराया. मदरसे में पढ़ाई के लिए बिहार से लाए गए बच्चों की उम्र छह से 14 साल के बीच बताई जा रही है. जिन्हें पांच दिन पहले ही मदरसे में लाया गया था. रिहा कराए गए बच्चों को बाल आयोग की टीम ने बाल कल्याण समिति के हवाले कर दिया है.

किराए के मकान में चल रहा था मदरसा बाल आयोग की सदस्य सुचिता के मुताबिक दुबग्गा लालनगर खेड़ा में बिना मान्यता के मदरसा चलाए जाने की जानकारी मिली थी. जिस पर टीम के साथ बताए गए जीशान हाशमी के मकान पर पहुंच कर जांच की. छानबीन करने पर कमरों में चल रहे मदरसों से करीब 24 बच्चों को मुक्त कराया गया. मदरसे का संचालन इरफान करता है. बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा दरभंगा निवासी इरफान और सैफुल्लाह पर था. मदरसा संचालन में आजमगढ़ दरियापुर निवासी जीशान भी शामिल है.

कमरों में चल रहे मदरसे में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं: मदरसे से मुक्त कराए गए अधिकांश बच्चे बिहार दरभंगा के रहने वाले हैं. जिनकी उम्र छह से 14 साल के बीच है. इरफान ने बाल आयोग की टीम को बताया कि बच्चों को दीन के साथ दुनियावी इल्म देने की बात कह कर वह लोग लाए थे. बाल आयोग की सदस्य सुचिता ने बताया कि कमरों के मदरसे में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं थीं. बच्चों से बातचीत में किसी ने हाफिज बन जन्नत का रास्ता दिखाने की बात कही, किसी ने आलिम और कारी बनने को कहा. ने पुलिस में जाने की बात कही.

बाइलॉज में लिखी सनातन संस्कृति को बढ़ावे की बात: मदरसा चला रहे इरफान,सैफुल्लाह को उर्दू के अलावा हिन्दी और अंग्रेजी का इल्म तक नहीं है. बाल आयोग की टीम के सामने नों ने यह बात स्वीकारी. बाइलॉज चेक करने पर पता चला कि जनवरी माह में इरफान ने संस्था बनाई थी. जिसमें अभी तक करीब साढ़े लाख रुपये जकात से जमा किए हैं. दुबग्गा में ही हजार वर्ग फीट का प्लॉट भी लिया है. संस्था रजिस्टर कराते समय बाइलॉज में लिखा था कि संस्था सनातन संस्कृति प्रचार के लिए काम करेगी.

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